नामक्कल की घंटियों की ओम ध्वनियां गूंजेंगी श्री राम लला के मंदिर में

अयोध्या : श्री राम लला का जन्मभूमि मंदिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहा है लेकिन तमिलनाडु के नामक्कल शहर ने इसमें अपना विशेष योगदान दिया है । सुदूर दक्षिण से उत्तर भारत के पूर्वी क्षेत्र में नामक्कल क्या योगदान कर सकता है । नामक्कल में बने विशाल घंटों की ओम ध्वनि श्री राम लला के मंदिर में गूंजेंगी । आनंद मोल्डिंग वर्क्स के राजेंद्रन के मन के आनंद का ठिकाना नहीं है । सन्मार्ग ने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि ये उनके पूर्वजों के पुण्य कर्मों का फल है कि उनको श्री राम लला के मंदिर की घंटियां बनाने का सौभाग्य मिला।राजेंद्रन कहते हैं ये केवल उनके और उनके परिवार का ही सौभाग्य नहीं है बल्कि पूरे नामक्कल का सौभाग्य है । जिन कारीगरों को घंटियां बनाने का सौभाग्य मिला उनके पूर्व जन्म के पुण्यों का प्रताप है । जैसे राम सेतु बनाने में गिलहरी ने अपना योगदान दिया था वैसे ही आनंद मोल्डिंग वर्क्स का भी गिलहरी प्रयास है ।राजेंद्रन के पुत्र कालीदास पुरूषोत्तम बताते हैं कि उनकी कंपनी को बैंगलुरू के एक भक्त राजेंद्र प्रसाद ने 32 घंटियां बनाने का ऑर्डर दिया था । कुल मिला कर घंटियों का वजन 1200 किलोग्राम है । इनमें से 6 घंटियों का भार 130 किलोग्राम प्रति घंटी है और बाकी 6 का 75 किलोग्राम प्रति घंटी है। बीस घंटियां छोटी हैं जिनको हाथ में पकड़ कर बजाया जाता है ।

राजेंद्रन सातवीं पीढ़ी के घंटी कारीगर हैं उनको विश्वकर्मा परिवार कहा जाता है।राजेंद्रन ने अपने पूर्वजों से ये कला सीखी । वे बताते हैं कि बैंगलुरू के राम भक्त राजेंद्र प्रसाद ने उनको चांदी , तांबा और कांसा उपलब्ध करवाया था, लोहे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया गया है । आमतौर पर राजेंद्रन एक घंटी बनाने की अच्छी खासी रकम लेते हैं लेकिन भगवान राम के मंदिर के लिए बन रही घंटियों के मेहनताने में उन्होंने लगभग पचास फीसदी दान कम किए ।राजेंद्रन उनके बेटे कालिदास समेत 20 कारीगरों ने मिल कर 33 घंटियां बनायीं 20 दिन में बना कर काम पूरा किया । घंटियां बनाने के बाद इनकी स्थानीय आंजेनय ( श्री हनुमान ) मंदिर में पूजा की गयी । पूजा के समय नामक्कल और आसपास के स्थानों से अनेक लोग उमड़ कर आए और पूजा में हिस्सा लिया । पूजा के बाद बैंगलुरू के लिए ट्रक द्वारा रवाना कर दिया गया । राजेंद्रन और नामक्कल के लोगों को परम आनंद की अनुभूति है कि उनके छोटे से शहर नामक्कल को श्री राम के भव्य मंदिर में एक छोटा स्थान मिला ।नामक्कल में बनी घंटियों की ध्वनि मंदिर परिसर में रह रह कर गूंजेंगीं । जब भी कोई भक्त आएगा और घंटी बजाएगा तो नामक्कल के लोगों का जीवन सफल होगा ।

 

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