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कोलकाता : शास्त्रों में भगवान श्री राम के जन्म को लेकर कई शुभ घटनाएं घटी थीं। ये घटनाएं कोई आम घटना नहीं थी बल्कि इन घटनाओं की कल्पना भी नहीं की जा सकती। श्री राम का जन्म चैत्र माह की नवमी तिथि के दिन हुआ था। हिंदू नववर्ष के शुरू होने के 9वें दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, लेकिन ये कोई आम घटना नहीं थी। ये शुभ घटनाओं का जिक्र शास्त्रों में मिलता है।
बता दें कि वाल्मिकी जी ने लिखा है कि श्री राम का जन्म चैत्र माह के नवमी तिथि और पुनर्वसु नक्षत्र 5 ग्रह अपने उच्च स्थान पर था। वहीं, सूर्य मेष राशि में 10 डिग्री पर, मंगर मकर राशि में 28 डिग्री पर, देव गुरु बृहस्पति कर्क में 5 डिग्री, शुक्र मीन राशि में 27 डिग्री पर और शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर थे।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि भगवान श्री राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था। वहीं, इसी पर हुए शोध के अनुसार 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में एक ऐसा ही दृश्य देखा गया था, जिसका जिक्र रामायण में मिलता है।
जन्म के समय ऐसा था माहौल
रामायण में बताया गया है कि श्री राम के जन्म के समय न तो धरती तप रही थी और न ही बहुत ठंड थी। मौसम बहुत अच्छा था। इतना ही नहीं, राम जी के जन्म के समय सब तरफ जड़ चेतन हरियाली थी। उस समय ठंडी हवा और सुंगधित हवा थी। देवी-देवता भी बहुत प्रसन्न थे। पर्वत भी उस समय मणी की तरह चमक रहे थे। नदियों में अमृत धारा बहने लगी थी। इतना ही नहीं, भगवान श्री राम के जन्म पर ब्रह्मा जी समेत सभी देवी-देवताओं उनका स्वागत किया था। वहीं, अयोध्या में भगवान श्री राम के जन्म पर रादा दशरथ ने नांदीमुख श्राद्ध करके सब जातकर्म-संस्कार पूरे किए थे। बहुत सी चीजों का दान किया था। सोना, गौदान, मणियों का दान, वस्त्र दान किया गया था। इस दौरान पूरी अयोध्या ध्वजा, पताका और तोरणों से सज चुकी थी। हर जगह खुशी का माहौल था और मंगलगान गाए जा रहे थे।