धार: यूपी के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद का मामला कोर्ट में है। वहीं, अब मध्य प्रदेश के धार से ऐसा ही विवाद सामने आ रहा है। यहां धार की ऐतिहासिक भोजशाला ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वेक्षण शुक्रवार यानी 22 मार्च से शुरू होगा। इंदौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह सर्वे किया जाएगा। हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) धार के विवादास्पद भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुक्रवार सुबह से शुरू करेगा।
6 सप्ताह में सौंपनी होगी रिपोर्ट
हाई कोर्ट के दो न्यायाधीशों की बेंच ने आदेश जारी करते हुए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर एएसआई के 5 सदस्यों की एक कमेटी गठित कर दो पिटीशनरों की मौजूदगी में पूरे मामले पर सर्वे कर बंद लिफाफे में रिपोर्ट 6 सप्ताह के अंदर पेश किए जाने की बात कही गई है , जिसमें यह तय किया जाएगा की भोजशाला पर आखिर अधिकार किसका है।
कड़ी सुरक्षा के बीच होगा सर्वे
अधिकारियों के मुताबिक ASI की ओर से स्थानीय पुलिस और प्रशासन को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के आदेश के अनुसार भोजशाला परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण या वैज्ञानिक जांच 22 मार्च (शुक्रवार) की सुबह से शुरू की जाएगी। धार के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने ASI का यह पत्र मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि भोजशाला परिसर में एएसआई के शुक्रवार अलसुबह से प्रस्तावित सर्वेक्षण के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।
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क्या है विवाद ?
ASI के संरक्षित ऐतिहासिक भोजशाला परिसर को हिन्दू वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला की मस्जिद बताता है। हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने 11 मार्च को सुनाए आदेश में कहा था, ‘‘ इस अदालत ने केवल एक निष्कर्ष निकाला है कि भोजशाला मंदिर-सह-कमाल मौला मस्जिद परिसर का जल्द से जल्द वैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन कराना ASI का संवैधानिक और कानूनी दायित्व है।
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने दाखिल की थी याचिका
अदालत ने ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी मंजूर करते हुए यह आदेश सुनाया था। मामले में अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होनी है। 7 अप्रैल 2003 को जारी आदेश के अनुसार जारी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।
ASI के करीब 21 साल पुराने आदेश को चुनौती देते हुए ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की ओर से उच्च न्यायालय में कहा गया था कि यह फरमान भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच के बगैर जारी किया गया था और नियम-कायदों के मुताबिक किसी भी मंदिर में नमाज अदा किए जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट में बहस के दौरान ASI की ओर से कहा गया था कि उसने 1902 और 1903 में भोजशाला परिसर की स्थिति का जायजा लिया था और इस परिसर की वैज्ञानिक जांच की मौजूदा गुहार को लेकर उसे कोई भी आपत्ति नहीं है।
मुस्लिम ने किया था विरोध
मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है। इस मस्जिद से जुड़ी ‘मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी’ ने एएसआई द्वारा भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच के लिए ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की दायर अर्जी पर उच्च न्यायालय में आपत्ति जताई थी।