
आंसू भी पानी का रूप : आंसू हमारी आंखों की नमी बनाए रखते हैं और ये गंदगी को भी अपने साथ बहा ले जाते हैं।
कफ के साथ भी निकलता है पानी : ऐसा नहीं कि बहती हुई नाक केवल बच्चों की ही होती है। शरीर में हर दिन करीब 1 लीटर कफ बनता है, जिसमें 95% तक पानी होता है। यह फेफड़ों को बैक्टीरिया से बचाता है और संवेदनशील अंगों जैसे आंतों और सेक्स ऑर्गन को चिकना बनाता है।
मां के दूध में भी होता है पानी : मां के दूध में भी 90% तक पानी होता है और 10% प्रोटीन, फैट, अमीनो एसिड और एंटीबॉडी होते हैं। नवजातों के लिए यह किसी अमृत से कम नहीं।
पसीना बहने में : पसीने में 99% तक पानी होता है। पसीना निकलने की प्रक्रिया में शरीर से अशुद्धियां भी बाहर निकल जाती हैं, इसलिए इसके बाद खुद को रिहाइड्रेट करना न भूलें।
खून में होता है पानी : खून के तरल भाग में 92% पानी होता है। ब्लड प्रेशर के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए पुरुषों को कम से कम 16 कप पानी और महिलाओं को 11 कप पानी जरूर पीना चाहिए।
टपकती हुई लार : लार में 99% तक पानी होता है। बोलने, खाने आदि क्रियाओं में लार की जरूरत होती है। यह एंजाइम्स, प्रोटीन को तोड़ने का काम करती है, जो दांतों को सुरक्षा प्रदान करती है।
यूरिनेशन के जरिये
हमारा भोजन, टॉक्सिन्स और हमारे इम्यून सिस्टम की स्थिति सब कुछ यूरिन के जरिये ही पता चल जाती है, जिसमें लगभग 95% तक पानी होता है। ● ● नरेंद्र देवांगन (स्वास्थ्य दर्पण)