सिर्फ गर्दन का व्यायाम हमें इतने रोगों से रख सकता है दूर

कोलकाता : रीढ़ की हड्डी को कशेरूक दंड या मेरूदंड कहा जाता है। इससे समस्त कंकाल को सहारा मिलता है। रीढ़ की हड्डी या मेरूदंड में 33 कशेरूकाएं होती हैं जिसमें से 7 कशेरूकाएं गर्दन में होती हैं। इन्हें सर्वाइकल वर्टिब्रा कहा जाता है। इन कशेरूकाओं के बीच फाइब्रो कार्टिलेज डिस्क होते हैं जिसके चलते कशेरूकाएं एक दूसरे से नहीं जुड़ती तथा सिर को मोडऩे या घुमाने में इससे मदद मिलती है।
यदि गर्दन में दर्द होने लगे तथा वह दर्द हाथों तक फैल जाए और उंगलियों में झनझनाहट महसूस हो तो यह सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस से ग्रसित होने की निशानी है या आगे चलकर आप इस रोग से ग्रसित हो सकते हैं। गर्दन में होने वाला स्पांडिलाइटिस नसों पर दबाव डालता है जिसके कारण दर्दों में वृद्धि होती है।

वातरोग के कारण गर्दन में निम्न जटिलताएं पैदा हो सकती हैं:-
-हाथों में दर्द
-कंधों में दर्द
-चक्कर आना
-आंखों में तकलीफ
-अनिद्रा
-छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना
वात रोग से बचने के लिए निम्न उपाय अमल में लाएं:-
-कड़े बिस्तर का इस्तेमाल करें।
-अपनी क्षमता के अनुसार व्यायाम व योगासन करें।
-अपना वजन नियंत्रित रखें।
-हमेशा समतल बिस्तर का ही प्रयोग करें।
-ठंडे कमरे में निवास न करें।
-मक्खन, घी, शराब, मीठी पावरोटी, अंडे, मांस, सेम व कंदमूल वर्गीय खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
यह रोग निम्न कारणों से होता है:-
-ऊंचे तकिए का प्रयोग करने से।
-गर्दन झुकाकर काम करने से
(दफ्तर, कंप्यूटर, सिलाई-कढ़ाई के काम आदि)
-गलत तरीके से सोने या लेटने पर
-अत्यधिक मानसिक तनाव के कारण
रोग चिकित्सा:- चिकित्सा प्रारंभ करने से पहले एक्स रे करवा कर निम्न बातों का निदान कर लेना चाहिए।
-रीढ़ का क्षय
-रीढ़ के गर्दन वाले हिस्से का टेढ़ा हो जाना।
-विभिन्न कशेरूकाओं मेें दर्द का सही कारण
-रीढ़ की कशेरूकाओं के बीच अंतर में आई कमी की संभावना।
अगर किसी मांसपेशी में दर्द हो रहा हो तो पतले तकिए का इस्तेमाल करना चाहिए तथा कड़े बिस्तर पर सोना चाहिए। यदि आप गर्दन झुका कर काम करते हैं तो गर्दन झुका कर काम करना बंद कर दें। इससे दर्द में राहत मिलेगी। सिर झुकाकर कोई व्यायाम या योगासन जैसे शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन आदि कदापि न करें।

गर्दन के निम्न व्यायाम करें:-
व्यायाम 1. सीधे खड़े हो जाएं या बैठ जाएं। स्वाभाविक रूप से सांस लेते हुए तथा सांस छोड़ते हुए सिर को एक बार दायीं ओर जितना घुमा सकें, घुमाएं। फिर बायीं ओर यथासंभव सिर घुमाएं। इस प्रक्रिया को एक बार मानकर इस व्यायाम को 1० बार करें।
व्यायाम 2. इस व्यायाम को करने के लिए भी पिछले व्यायाम की तरह खड़े हो जाएं या बैठ जाएं। फिर स्वाभाविक रूप से सांस लेते हुए तथा छोड़ते हुए सिर को एक बार पीछे की ओर झुकाएं, फिर सीधा करें। इस पूरी प्रक्रिया को एक बार मानकर इस व्यायाम को भी 10 बार करें।
व्यायाम 3. अब साइडवाइज बेन्डिंग – सीधा रहकर।
व्यायाम 4. सिर को वृत्ताकार दायीं ओर से बायीं ओर घुमाएं तथा बायें ओर से दायें ओर घुमायें। इस प्रक्रिया को एक बार मानकर इसी प्रकार 10 बार करें। सिर को वृत्ताकार घुमाने से जिन्हें चक्कर आता हो, वे इस व्यायाम को न करें।
रुकावट डालने वाला व्यायाम (स्टेटिक एक्सरसाइज):- दायें-बायें गर्दन घुमाते समय हाथ से विपरीत दिशा में दबाव डाला जाता है। उस समय दबाव तथा गर्दन का दबाव बराबर रहने पर सिर स्थिर रहेगा, हिलेगा नहीं।
शोल्डर रोलिंग:- पहले सीधे खड़े हो जाएं। उसके बाद दोनों कंधों को सामने से पीछे की ओर बारी-बारी से वृत्ताकार घुमाएं। फिर विपरीत दिशा में पीछे से सामने की ओर 10 बार घुमाएं। व्यायाम करते समय सांस स्वाभाविक रूप से लें और छोड़ें।
सहज अर्द्धमत्स्येन्द्रासन:- सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं। रीढ़ को सीधा रखते हुए दायां हाथ बाएं घुटने पर रखें। बाएं हाथ को पीठ के पीछे ले जाकर सिर व गर्दन को बायीं ओर जितना संभव हो सके, मोड़ें तथा मन ही मन 20 तक गिनती करें। इसी प्रकार सिर और गर्दन को दायें ओर घुमाकर सम्पूर्ण शरीर को दायें ओर मरोड़ें। व्यायाम करते समय स्वाभाविक रूप में सांस लें और छोड़ें !

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