कोलकाता : शाकाहार संपूर्ण एवं उत्तम आहार है, जो हमारे शरीर को बिना कोई नुकसान पहुंचाये शरीर की सभी आवश्यकताओं की सही अर्थों में पूर्ति करता है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त सभी खाद्य वस्तुओं, जैसे-हरे शाक-सब्जी, फल, दालें, अनाज, दूध आदि में मनुष्य के शरीर के लिये सभी आवश्यक पोषक पदार्थ, जैसे-प्रोटीन, विटामिन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा भरपूर मात्रा में होते हैं, अत: हमें अपने शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये मांसाहार की कतई आवश्यकता नहीं है। प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि शाकाहारी पदार्थों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा खनिज पदार्थों की मात्रा मांसाहारी पदार्थों से कहीं अधिक होती है। एक बहुत पुरानी कहावत है ‘जैसा खाये अन्न, वैसा होये मन’ अर्थात् हम जो कुछ भी खाते हैं, उसका हमारी मानसिक स्थिति पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि शाकाहारी व्यक्ति दयालु, संवेदनशील, कोमल मन वाले तथा सात्विक प्रवृत्ति वाले होते हैं, वहीं इसके विपरीत मांसाहारी व्यक्ति अपेक्षाकृत क्रूर, हिंसक, कठोर हृदय वाले तथा तामसिक प्रवृत्तियों वाले होते हैं।
शाकाहारी पदार्थों में जहां दालें प्रोटीन की खान हैं तो फल एवं सब्जियां विटामिन्स का भण्डार हैं। रेशेदार फल पाचन में सहायक हैं तो गेहूं तथा चावल कार्बोहाइड्रेट का खजाना हैं। आलू तथा अरबी स्टार्च से युक्त हैं तो दूध कैल्शियम से भरपूर है जो दांतों व हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। शाकाहारी पदार्थ, फल व सब्जियां सिर्फ शरीर को पोषण ही नहीं देते बल्कि कई पदार्थ तो बहुत-सी बीमारियों के उपचार में भी सहायक होते हैं। वैज्ञानिक यह भी दावा करते हैं कि मांसाहार लगभग 160 बीमारियों का जनक होता है।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे शरीर की कोई भी ऐसी आवश्यकता नहीं है जो शाकाहार द्वारा पूरी न हो सके या कहें कि जिन्हें पूरी करने के लिये मांसाहार की आवश्यकता पड़े, अत: शाकाहार ही उत्तम आहार है।
यदि हम अपना खानपान तथा दिनचर्या नियमित कर उचित आहार-विहार का पालन करें तो निश्चय ही आधी से अधिक बीमारियों का उपचार तो स्वत: ही हो जायेगा या कहें कि बीमारियां पैदा ही नहीं होंगी। तो क्यों न हम आज से ही शाकाहार को अपनाकर निरोगी जीवन जीने में स्वयं की मदद करें तथा निरोगी एवं स्वस्थ समाज की नींव रखें। ● ज्योति गुप्ता (स्वास्थ्य दर्पण)