
कोलकाता : चंद्र कैलेंडर में हर 3 साल में एक महीना और जुड़ जाता है, इसे ही मलमास या अधिकमास कहा जाता है।वर्ष में जोड़े गए अधिक मास को अशुभ माना जाता है, इसमें शुभ कार्य करना वर्जित होता है, इसलिए इसे मलमास कहा जाता है। मलमास के अधिष्ठाता देवता भगवान पुरूषोत्तम यानि श्री हरि विष्णु हैं, इसलिए मलमास को पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस साल हिंदू कैलेंडर में मलमास लगने से साल में 13 महीने हो जाएंगे। यह मलमास श्रावण माह में जुड़ रहा है, जिसके कारण सावन माह 59 दिनों का हो गया है। आइए जानते हैं कि मलमास कब से शुरू हो रहा है और कब समाप्त होगा?
मलमास में क्या करना है वर्जित?
1. मलमास के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित है। इसी कारण से इस माह में गृह प्रवेश, विवाह, नामकरण, तिलक, मुंडन, सगाई आदि नहीं किए जाते हैं।
2. मलमास के दौरान नया घर, नया प्लॉट, नए कपड़े, दुकान आदि नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
3. मलमास में लहसुन, प्याज, मांस, मछली आदि तामसिक चीजों का सेवन वर्जित है। इसके अलावा शराब, सिगरेट, बासी भोजन आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
4. इस माह में सरसों के बीज, उड़द की दाल, मसूर की दाल, मूली, सभी प्रकार की पत्तेदार सब्जियां, शहद आदि का सेवन न करें। शास्त्रों में इसके सेवन से मनाही है।
5. मलमास भगवान विष्णु की आराधना का महीना ।. इसमें झूठ, चोरी, घृणा, क्रोध, काम, लालच, गलत व्यवहार, गलत भाषा, अनैतिक कार्य नहीं करना चाहिए।