मां कैंटीन : शाल पत्ते के प्लेट में 5 रुपये में भरपेट

अब सरकारी अस्पतालों में भी मिलेगी मां कैंटीन की थाली
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कोलकाता के 6 अस्पतालों में शुरू की गयी व्यवस्था
सोनू ओझा
कोलकाता : सिर पर बोझा ढोने वाले हों, बस के खलासी हों या छोटे-मोटे मजदूर अक्सर भूख लगने पर ये रास्ते के किनारे लगे ढाबे में खाना खाते दिख जाते हैं। खाने के लिए नहीं भी तो 30 से 40 रुपये प्रति प्लेट खर्च करना पड़ता है जिसे बचाने के लिए कई बार इस तबके के कुछ लोग मूढ़ी, चना, बादाम खाकर ​पेट भर लेते हैं। इस खास वर्ग के जरूरतमंदों को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने मां कैंटीन की व्यवस्था की है, जहां इनके लिए खाने की व्यवस्था महज 5 रुपये में की गयी है। आज बंगाल के लगभग सभी नगर निगम व पालिका इलाकों में मां कैंटीन की व्यवस्था है जहां प्रति थाली में दाल, भात, सब्जी के साथ अंडा और एक बोतल पानी दिया जाता है।
2021 में 148 कैंटीन थी, आज 283 है
लजीज और स्वादिष्ट खाने की बात आती है तो कोलकाता का नाम खुद-ब-खुद मुंह में पानी ला देता है। उस पर सस्ते खाने में तो सिटी ऑफ जॉय का मुकाबला ही नहीं है। कहने को तो कई निजी संस्था तथा स्टार्टअप की तरफ से खाने के सस्ते प्लेट बाजार में उपलब्ध है लेकिन कोलकाता की मां कैंटीन कई मायनों में अलग जगह रखती है। पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से चालू की गयी यह योजना बहुत पुरानी नहीं है बल्कि 2021 के फरवरी महीने में इसकी शुरुआत की गयी ह। उस वक्त 34 नगरपालिकाओं में 148 कैंटीन के साथ इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गयी थी। आज के समय में 127 निकायों में कुल 283 मां कैंटीन हैं। भविष्य में इनकी संख्या 480 करने का टार्गेट रखा गया है।
सरकारी अस्पतालों में मां कैंटीन हो रही सक्सेसफुल
मां कैंटीन बंगाल के सभी 33 सरकारी अस्पतालों में खोली जाएगी। फिलहाल कोलकाता के 6 अस्पताल एसएसकेएम, आर जी कर, शंभुनाथ, एनआरएस, कोलकाता मेडिकल कॉलेज व अस्पताल तथा एमआर बांगुर में मां कैंटीन हैं जहां इसका रिस्पांस काफी बेहतर आ रहा है। इसके अलावा रामपुरहाट, कूचबिहार, अलीपुरदुआर, झाड़ग्राम, ताम्रलिप्त, मालदह और इमामबाड़ा में काम चल रहा है। बाकी के सरकारी अस्पतालों में भी इसी महीने कैंटीन खोलने का निर्देश ​दिया गया है जहां मरीजों के साथ उनके परिजनों को सीटिंग खाने की व्यवस्था की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि सरकारी अस्पतालों के बाद सबडिविजनल अस्पताल, मातृसदन तथा सुपरस्पेशिलिटी अस्पतालों में भी इसे चालू किया जाएगा।
115 करोड़ का बजट, प्रति कैंटीन का खर्च 2 करोड़
स्टेट अर्बन डवलपमेंट एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि मां कैंटीन के लिए 115 करोड़ रुपये का बजट है। प्रति महीने एक कैंटीन में करीब 2 करोड़ रुपये का खर्च आता है। लाभार्थी जहां थाली के लिए 5 रुपये देते हैं वहीं 10 रुपये की सब्सिडी सरकार देती है तथा भात की राशि जो होती है वह राज्य सरकार के खाते से आती है। प्रति दिन एक कैंटीन में करीब 200-300 लोगों का खाना बनता है। योजना तरीके पूरी की जा रही है इसके लिए जियो टेक के जरिये नॉडल एजेंसी सूडा रोजाना पोर्टल के जरिये नजर रखती है। कई बार खाना बच जाता है तो उसे स्टेशन के आसपास जरूरतमंदों को दिया जाता है जिसका खर्च स्थानीय पालिका वहन करती है।

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