नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा से मिलती है…

कोलकाताः शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी की पूजा को समर्पित है। मां दुर्गा का यह छठा स्वरूप बहुत करुणामयी है। माना जाता है कि मां दुर्गा ने अपने भक्तों की तपस्या को सफल करने के लिए यह रूप धारण किया था। पौराणिक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने महर्षी कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था। महर्षी कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही मां दुर्गा के इस रूप का नाम कात्यायनी रखा गया। इसके साथ ही आगे चलकर मां कात्यायनी ने दैत्य महिषासुर का वध किया तो उन्हें महिषासुर मर्दनी भी कहते हैं।

इस साल मां कात्यायनी की पूजा शनिवार, 1 अक्टूबर 2022 को की जाएगी। मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से और विधिवत मां कात्यायनी का पूजन करता है उसके सभी रोग, दुख और भय दूर हो जाते हैं। साथ ही देवी की आराधना से सभी वैवाहिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि और मंत्र के बारे में…
मां कात्यायनी की पूजा विधि
नवरात्रि के छठे दिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल से शुद्धि करें। अब सबसे पहले मां कात्यायनी की प्रतिमा अथवा तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर प्रणाम करें। फिर पूजन के दौरान देवी को पीले अथवा लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद देवी मां को पीले रंग के पुष्प, कच्ची हल्दी की गांठ चढ़ाएं। फिर माता को शहद का भोग लगाएं। मां कात्यायनी के समक्ष आसन पर बैठकर मंत्र, दुर्गा चालीसा और सप्तशती का पाठ अवश्य करें। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर मां की आरती उतारें। पूजा के बाद सभी को प्रसाद बांटें।
मां कात्यायनी मंत्र
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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