कोलकाता : बड़ाबाजार में फुटपाथ पर कोई कारोबार नहीं होगा। हाई कोर्ट की जस्टिस अमृता सिन्हा ने बड़ाबाजार प्रोग्रेसिव ट्रेडर्स एसोसिएशन और अन्य की तरफ से दायर एक रिट पर सुनवायी के बाद मंगलवार को यह आदेश दिया। इसके साथ ही सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि बड़ाबाजार के फुटपाथ पर कारोबार कर रहे कारोबारियों को हटाया जाए। बड़ाबाजार थाने के ओसी को आदेश दिया है कि इस मामले में जब केएमसी कार्रवाई करेगा तो उसे हर तरह का सहयोग दिया जाए। जस्टिस सिन्हा ने अपने आदेश में कहा है कि केएमसी और पुलिस यह सुनिश्चित करेंगे कि बड़ाबाजार में फुटपाथ पर कोई कारोबार नहीं किया जाए। इसे पूरी तरह पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित रखा जाए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस मामले में जितनी जल्द हो सके कार्रवाई की जाए पर निश्चित रूप से आदेश के आठ सप्ताह के अंदर कार्रवाई करनी पड़ेगी। इसके साथ ही फुटपाथ पर किसी तरह का निर्माण किए जाने पर भी जस्टिस सिन्हा ने रोक लगा दी है। इस मामले में पीटिशनर और केएमसी की तरफ से कोर्ट में जो फोटोग्राफ पेश किए गए हैं उन्हें रिकार्ड में रखे जाने का आदेश दिया है।
इसके साथ ही ट्रेडर्स एसोसिएशन को नसीहत दी है कि उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी और समस्या को हल करने में सहयोग करना पड़ेगा। एसोसिएशन ट्रेडरों और हॉकरों से बात करें और उन्हें समझाए कि वे फुटपाथ पर कारोबार नहीं करें। इस मामले में सभी पक्षों का सहयोग जरूरी है। इसके साथ ही उम्मीद जतायी है कि इंजीनियरों का विवेक काम करेगा और वे इस दिशा में कार्रवाई करेंगे। जस्टिस सिन्हा ने फुटपाथ की परिभाषा समझाते हुए कहा है कि यह लोगों के पैदल चलने के लिए होता है। अगर यह नहीं होगा तो लोग सड़क पर चलेंगे। पीटिशनरों ने कुछ दिनों पहले घटी एक दुर्घटना का हवाला दिया है। इसका जिक्र करते हुए जस्टिस सिन्हा ने आदेश दिया है कि केएमसी के आयुक्त या सक्षम अधिकारी फुटपाथ पर किए जाने वाले निर्माण के मुद्दे की समीक्षा करें और फैसला लें। पीटिशनरों की तरफ से कहा गया है कि फुटपाथ पर बड़े-बड़े गमले बना दिए जा रहे हैं और इससे फुटपाथ संकरा होता जा रहा है। इस मामले में अधिकतम आठ सप्ताह के अंदर कार्रवाई करनी पड़ेगी। उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं। तृणमूल की सरकार एवं कोलकाता नगर निगम सदैव लोगो के हित में कार्य करता हैं। सभी के हितों का ध्यान रखते हुए आगे की कार्यवाही पर विचार किया जायेगा। सौंदर्यीकरण के इस कार्य में अधिकांश व्यवसायी समर्थन में थे,पर बड़ाबाजार में कुछ लोगो ने सामने से एवं कुछ ने पर्दे के पीछे से विकास एवं सौंदरीयकरण के कार्य में बाधा पहुंचाने की नियत से झूठा प्रचार किया जिसके कारण मामला न्यायालय पहुंचा।