Kolkata Case : डेड बॉडी चालान के बगैर पोस्टमार्टम क्यों किया गया | Sanmarg

Kolkata Case : डेड बॉडी चालान के बगैर पोस्टमार्टम क्यों किया गया

अगली सुनवायी में राज्य को देना पड़ेगा जवाब

नयी दिल्ली/कोलकाता : डेड बॉडी चालान के बगैर मृतका का पोस्टमार्ट कैसे हो गया। इसका एक परफर्मा होता है और इसे पूरी तरह भर कर पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के पास भेजना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा के बेंच में सोमवार को आरजी कर मामले की सुनवायी के दौरान इसका खुलासा हुआ। राज्य सरकार तत्काल जवाब नहीं दे पायी। अगली सुनवायी में इसका जवाब देना पड़ेगा।

एडवोकेट अनामिका पांडे ने बताया कि विजय सिंघल की तरफ से हाई कोर्ट में पीआईएल दायर की गई थी। अब इसकी सुनवायी सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। इस मामले में बहस करते हुए एडवोकेट फिरोज इदुलजी ने इसके साथ ही कई मुद्दों को उठाया। एडवोकेट इदुलजी ने कहा कि पोस्टमार्टम के पहले डेड बॉडी चालान डॉक्टर के पास दाखिल करना पड़ता है। इसके परफर्मा में मृतक या मृतका का पूरा नाम पता के साथ ही एक रेफरेंस कालम होता है। जब चीफ जस्टिस के बेंच ने इसका जवाब मांगा तो राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट कपिल सिब्बल इसे दाखिल नहीं कर पाए। बेंच ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि अगर अगली सुनवायी में पेश नहीं कर पाए तो इसका गंभीर परिणाम हो सकता है। एडवोकेट इदुलजी ने कहा कि मृतका की अर्द्ध नग्न लाश मिली थी। जीन्स और अंडर गार्मेंट्स दूर पड़े थे। क्या उन्हें सीज करके फोरेंसिक टेस्ट को भेजा गया है। इसके अलावा मृतका की लाश 90 डिग्री कोण में मिली थी। क्या उसके कमर का एक्सरे कराया गया था अगर हां तो कहा है। इसे कोर्ट में दाखिल करें। इसके अलावा उनका सवाल था कि नर्थ बंगाल लॉबी के डॉक्टरों से ही पोस्टमार्टम क्यों कराया गया। ब्लड सैंपल को माइनस 4 डिग्री सेंटीग्रेड में रखे जाने का प्रावधान है, क्या इस पर अमल किया गया। इसके साथ ही एडवोकेट इदुलजी ने वीडियोग्राफी पर भी सवाल उठाया। सीआरपीसी प्रावधान के मुताबिक इसे करने वाले का पूरा नाम पता होना चाहिए। पर यह यहां क्यों नहीं है। एडवोकेट इदुलजी ने टाला थाने को भी कटघरे में खड़ा किया। उस दिन सिर्फ दस जीडी दर्ज हैं, क्या यह मुमकिन है। उन्होंने कहा कि घटना के बाद तुरत-फुरत टॉयलेट की दीवारे तोड़ दी गईं। उन्होंने सवाल किया कि क्या टॉयलेट की दीवारों के टाइल्स की केमिकल जांच कराई गई ताकि यह पता चल सके कि उस पर ब्लड के निशान थे या नहीं। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समापन करते हुए कहा कि बलात्कार-हत्या की घटना के मामले में पहले पांच घंटे बेहद महत्वपूर्ण होेते हैं पर सीबीआई को जांच सौंपी गई घटना घटने के पांच दिनों बाद। बहरहाल अगली सुनवायी में इन मुद्दों का खुलासा होगा।

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