कोलकाता : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को हुए ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर के विरोध में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल मंगलवार को 31वें दिन भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को एक सुनवाई में जूनियर डॉक्टर्स को आज शाम 5 बजे तक ड्यूटी जॉइन करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो राज्य सरकार डॉक्टरों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकती है। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक उन्हें और पीड़ित को न्याय नहीं मिल जाता, वे काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने सरकार को शाम 5 बजे तक अपनी मांगें मानने का समय दिया है। डॉक्टर्स ने इस आंदोलन को एक जन-आंदोलन करार देते हुए कहा है कि इसे लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट को गंभीरता से सोचना चाहिए।
डॉक्टर्स की प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
राज्य के स्वास्थ्य सचिव की बर्खास्तगी
सुरक्षा प्रबंधों में सुधार, जिसमें रेस्ट रूम, बाथरूम, पर्याप्त सुरक्षा कर्मी और सीसीटीवी की व्यवस्था शामिल है
राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट की आलोचना
जूनियर डॉक्टर्स ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उनके प्रदर्शन को गलत तरीके से पेश कर रही है और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगा रही है। उनका कहना है कि राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में मरीजों की सेवाएं चालू हैं और सीनियर डॉक्टर्स काम कर रहे हैं। कुल 245 सरकारी अस्पतालों में से केवल 26 मेडिकल कॉलेज हैं और जूनियर डॉक्टर्स की संख्या 7,500 से भी कम है, जबकि कुल 93,000 रजिस्टर्ड डॉक्टर हैं। इस तथ्य से यह स्पष्ट है कि केवल कुछ जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मेडिकल सेवाएं प्रभावित नहीं हो सकतीं।
पुलिस की भूमिका और सुरक्षा की समस्याएं
जूनियर डॉक्टर्स ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 27 अगस्त को एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा का दोष उन पर मढ़ दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उस कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं था और वे किसी भी हिंसक घटना का समर्थन नहीं करते। डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार ने घटना के 30 दिन बाद भी मुख्य मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पुलिस की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, और संदीप घोष को सस्पेंड करने का फैसला केवल एक औपचारिकता जैसा प्रतीत होता है।
सुरक्षा सुधार की आवश्यकता
आंदोलन के पहले दिन से ही, डॉक्टर्स ने सुरक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण मांगें उठाई हैं, जैसे कि ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों के लिए अलग से रेस्ट रूम और बाथरूम, पर्याप्त सुरक्षा कर्मी, सीसीटीवी और महिलाओं के लिए महिला सुरक्षा कर्मी की व्यवस्था। उनका कहना है कि केवल पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने और डॉक्टरों के कमरे अलग करने से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री के प्रेस बयान से यह स्पष्ट हुआ कि पुलिस कमिश्नर ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी और खुद जांच में लापरवाही स्वीकार की थी, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। डॉक्टर्स ने सवाल उठाया है कि क्या ऐसी पुलिस फोर्स महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएगी।
Kolkata Rape-Murder Case : काम पर नहीं लौटेंगे जूनियर डॉक्टर
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