शीतला अष्टमी का व्रत आज, जानें पूजा से जुड़ी 8 जरूरी बातें

कोलकाता: हिंदू धार्मिक ग्रंथों में माता शीतला को रोग और शोक दूर करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। शीतला अष्टमी व्रत वाले दिन उत्तर भारत के घरों में चूल्हा नहीं जलता है और इससे जुड़े सभी भोग-पकवान एक दिन पहले यानि सप्तमी तिथि पर ही बना लिए जाते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथो में माता शीतला को आरोग्य प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में चेचक जैसी बीमारी पर देवी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आइए माता शीतला से जुड़े बसौड़ा पर्व से जुड़ी 8 जरूरी बातों के बारे में जानते हैं। आईए जानें उनसे जुड़े बसौड़ा पर्व का आखिर क्या है महत्व-

1. शीतला अष्टमी के पावन पर्व पर देवी की पूजा के साथ वट वृक्ष की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि बसौड़ा पर्व पर यदि कोई भक्त माता का ध्यान करते हुए वट वृक्ष में धागा बांधता है तो उसकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होती है।

2. धार्मिक परंपरा के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन घर में न तो चूल्हा जलाया जाता है और न ही सुई में तागा डाला जाता है। बसौड़ा के दिन घर में झाड़ू भी नहीं लगाया जाता है।

3. हिंदू धर्म में माता शीतला को सुख-सौभाग्य के साथ अच्छी सेहत प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि बसौड़ा पर्व पर विधि-विधान से पूजा, व्रत और माता को मीठे चावल का भोग लगाने पर माता शीतला शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं और अपने भक्त के सभी दु:ख और कष्ट को हर लेती हैं। मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर माता शीतला की कृपा बरसती है, उसे लंबी आयु प्राप्त होती है।

4. मान्यता है कि शीतला अष्टमी के पर्व पर बसौड़ा की पूजा करने पर माता अपने भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं और उन्हें पूरे साल तमाम तरह की प्राकृतिक आपदाओं से बचाए रखती हैं।

5. हिंदू मान्यता के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन से ही मौसम में बदलाव आता है और गरमी पड़ना शुरु होती है। ऐसे में माता शीतला के भक्त उन्हें विशेष रूप से ठंडा जल चढ़ाकर उसे प्रसाद मानते हुए अपने शरीर पर छिड़कते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने पर उन्हें पूरे साल चेचक जैसी तमाम बीमारियों और रोग आदि से देवी बचाए रखती हैं।
6. हिंदू मान्यता के अनुसार शीतला माता का धाम अक्सर बरगद के पेड़ के पास ही होता है। मान्यता है कि अपने नाम के अनुसार माता शीतला को ठंडी चीजों से काफी लगाव है और बरगद के पेड़ की छांव सभी पेड़ों में सबसे ज्यादा ठंडी मानी गई है।

7. हिंदू मान्यता के अनुसार शीतला अष्टमी पर देवी को चढ़ाए जाने वाले बासी भोग का सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि तार्किक कारण भी है। मान्यता है कि इसी दिन से बासी भोजन खराब होने लगता है, ऐसे में शीतला अष्टमी पर आखिरी बार माता के बासी भोग को खाने के बार आने वाले दिनों में सिर्फ और सिर्फ ताजा भोजन किया जाता है।

8. शीतला अष्टमी के दिन भूलकर भी माता की सवारी माने जाने वाले गधे को परेशान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस नियम की अनदेखी करने वाले व्यक्ति को तमाम तरह के शारीरिक कष्ट झेलने पड़ते हैं।

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