कोलकाताः पंचांग के अनुसार 15 नवंबर 2022, मंगलवार को मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन पुष्य नक्षत्र का बहुत ही शुभ संयोग बना हुआ है। पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा बताया गया है। शास्त्रों में इसे नक्षत्रों का सम्राट भी कहा गया है।
ज्योतिष ग्रंथों में 27 नक्षत्रों का वर्णन प्रमुखता से मिलता है। पुष्य नक्षत्र इन्हीं 27 नक्षत्रों में से आठवें नंबर का नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं। पुष्य नक्षत्र 14 नवंबर 2022 को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से लग चुका है।
पुष्य नक्षत्र परिचय
शास्त्रों में पुष्य का अर्थ पोषण करने वाला बताया गया है। इसका प्राचीन नाम तिष्य भी है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह गाय का थन है। पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं वहीं स्वामी शनि देव हैं। यही कारण है इस नक्षत्र में जन्में लोगों में शनि और बृहस्पति, दोनों का प्रभाव देखने को मिलता है। शनि जहां परिश्रम और न्याय के कारक हैं वहीं बृहस्पति ज्ञान के कारक माने गए हैं। शास्त्रों में इस नक्षत्र की महिमा कुछ इस प्रकार बताई गई है-
सिंहों यथा सर्वत्र चतुष्पदानां
तथैव पुष्यो बलवानुडृनाम्।
चंद्रे विरुद्धे व्यृथ गोचरेपि,
सिद्धयंति कार्याणि कृतानि पुष्ये।।