नई दिल्ली: भगवान श्रीकृष्ण को लोग अलग-अलग नामों से बुलाते हैं और उनके अलग-अलग अवतार हैं। कोई उन्हें बालगोपाल कहता है, कोई उन्हें भगवान विष्णु, तो कोई उन्हें मर्यादा पुरषोत्तम राम। नाम अलग-अलग, लेकिन लोगों के मन को मोह लेने वाले केवल एक- ‘गिरधारी’। कान्हा से प्रेम तो हर कोई करता है, लेकिन राधा और मीरा जैसा प्रेम आज तक कोई नहीं कर पाया, जिसके बारे में हमें ग्रंथों और पुराणों में पढ़ने और सुनने को मिलता है। वो तो द्वापर युग की बात थी, लेकिन अगर हम ये कहें कि कलियुग की मीरा भी अस्तित्व में हैं, तो ये कहना गलत नहीं होगा।
दरअसल, हाल ही में जयपुर से एक मामला सामने आया है, जिसमें ठाकुरजी के प्रेम की दीवानी पूजा सिंह ने अपने ईष्ट से ब्याह रचा लिया है। इस शादी में सारे रस्मों-रिवाज के साथ-साथ बाकायदा बारात निकाली गई, जिसमें 311 लोग शामिल हुए। आज हम इसी शादी की बात करने वाले हैं, जिसमें मदनमोहन कलियुग में दूल्हेराजा बने हैं।
मामला जयपुर के गोविंदगढ़ में स्थित ग्राम नरसिंहपुरा से सामने आया है जहां 8 दिसम्बर को पूजा ने ठाकुरजी की मूर्ति रखकर शादी की सभी रस्में निभाई, जिनमें हल्दी, मेंहदी से लेकर फेरे तक शामिल थे। जहां एक तरफ पूजा शादी के लिए बिल्कुल दुल्हन की तरह तैयार हुई। वहीं, ठाकुरजी की भी एक दूल्हे की तरह पूरी साज-सज्जा की गई। पूजा ने रस्म के मुताबिक, चंदन से अपनी मांग भरी और शादी के बाद ठाकुरजी को पति मानने का संकल्प लिया। साथ ही कहा कि वो अपनी आखिरी सांस तक भगवान की भक्ति में लीन रहेंगी।