कैग की रिपोर्ट के मामले में सीबीआई की जांच की पेशकश

2.30 लाख करोड़ की रकम का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कैग (कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट पर आधारित एक पीआईएल की सुनवायी के दौरान सीबीआई की तरफ से इसकी जांच करने की पेशकश की गई। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की डिविजन बेंच मंगलवार को इसकी सुनवायी कर रही थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा 2011 से 2016 के दौरान आवंटित फंड का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट राज्य सरकार द्वारा नहीं दिया गया है। यह रकम 2.30 लाख करोड़ रुपए के करीब है।
भाजपा के महासचिव जगन्नाथ चट्टोपाध्याय और दो अन्य ने यह पीआईएल दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि इस रकम की हेराफेरी की गई है। सुनवायी के दौरान सीबीआई के एडवोकेट बिल्लादल भट्टाचार्या ने कहा कि अगर कोर्ट अनुमति दे तो सीबीआई इसकी जांच करके प्राथमिक रिपोर्ट दे सकती है। इस मौके पर चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट जनरल एस एन मुखर्जी और पिटिशनरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट जयदीप कर से विकल्प पर सवाल किया। चीफ जस्टिस का सवाल था कि क्या कोर्ट को इस मामले की जांच करनी चाहिए, या इस बाबत रिपोर्ट आने का इंतजार करे, या फिर एक समयसीमा तय कर दे जिसके अंदर पीएसी को अपनी रिपोर्ट देनी पड़ेगी। इसके जवाब में एजी ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट सीधे राज्यपाल के पास आती है और वे इसे विधानसभा में भेजते हैं। इसके बाद विधानसभा इसे पीएसी को देती है और पीएसी समीक्षा करने के बाद अपनी रिपोर्ट देती है। लिहाजा इस मुकाम पर कोर्ट दखल नहीं दे सकता है। पर पिटिशनरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट जयदीप कर की दलील थी कि 2011 से 16 तक का कोई यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। जबकि इसे हर साल दिया जाना चाहिए। इसी मुकाम पर हाई कोर्ट इसमें दखल दे सकता है। वक्त बीत चुका है और अब इसे विधानसभा पर नहीं छोड़ा जा सकता है। ये सर्टिफिकेट कहां गए इसपर कोई चूं भी नहीं है। इसके बाद 2017 से 2021 तक के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट 2022 मार्च में सौंपे गए थे। इस दौरान जस्टिस राजर्षि भारद्वाज ने कई तीखे सवाल किए। मसलन एजी से उन्होंने सवाल किया कि 2011 से लेकर 2016 तक के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट कहां गए। इसके जवाब में एजी ने कहा कि 2011 नहीं बल्कि 2002 से नहीं दिए गए। उन्होंने कहा कि विधानसभा को इसमें पार्टी बनाया जा सकता है। फिर एजी ने कहा कि पहले तो इस पीआईएल की ग्रहणयोग्यता पर फैसला हो जाए इसके बाद मेरिट पर बहस की जाएगी। अब इसकी अगली सुनवायी 13 मार्च को की जाएगी।

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