कोलकाता : 25 साल के सांसद व कांग्रेस के हर सुख व दुःख के साथी अधीर रंजन चौधरी क्या अब तोड़ लेंगे कांग्रेस से रिश्ता ? राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अधीर रंजन चौधरी फिलहाल किसी चौराहे पर खड़े दिख रहे हैं जहांभारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की यह कालजयी रचना उन पर पूरी तरह फिट बैठती है। यह रचना है,‘चौराहे पर लुटता चीर, प्यादे से पिट गया वज़ीर। चलूं आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति रचाऊं मैं ? राह कौन-सी जाऊं मैं ?’ अधीर आज उसी चौराहे पर खड़े दिख रहे हैं। यहां उल्लेखनीय है कि गत मंगलवार को अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि एआईसीसी की बैठक में उन्हें पता चला कि वह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हो गये हैं। इस बयान में उनका दुःख और रोष दोनों ही झलक रहा था। 5 बार के सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी को अपनी ही पार्टी में इस तरह ‘पूर्व’ बना दिया जाएगा, यह उन्होंने सोचा नहीं होगा। इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की ओर से अधीर के लिए दरवाजे खोल दिये गये हैं। हालांकि अधीर अब तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं यानी यह कह सकते हैं कि वह अभी चौराहे पर खड़े हैं।
केंद्रीय मंत्री ने दिया न्योता : केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को बुधवार को एनडीए में शामिल होने का न्योता दिया। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अठावले ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में हारने के कारण उन्हें नजरंदाज व अपमानित किया जा रहा है। कांग्रेस के इस रवैये के कारण काफी नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये। मैं अधीर जी से आवेदन करता हूं कि अगर वह कांग्रेस में अपमानित महसूस कर रहे हैं तो उन्हें कांग्रेस छोड़ देनी चाहिए। मैं उन्हें एनडीए अथवा मेरी पार्टी आरपीआई में आने के लिए आमंत्रित करता हूं।’ वहीं भाजपा नेता सजल घोष ने कहा कि डिवोर्स होने के बाद अधीर दा ‘पूर्व’ शब्द को अस्वीकार कर रहे हैं। अब मैं उन्हें यही कहूंगा कि वह कहीं और शामिल हों क्याेंकि अब कांग्रेस में रहकर टीएमसी का विरोध करना उनके लिए संभव नहीं होगा।
लगता है भाजपा से बात हो गयी है : टीएमसी : तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस से निलंबित होना चाहते हैं। वह उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। संभव है कि उन्होंने पहले ही भाजपा से बात कर ली है।’
कांग्रेस कर सकती है तृणमूल से गठजोड़
तृणमूल कांग्रेस के धुर विरोधी अधीर रंजन चौधरी अब पूर्व अध्यक्ष बन गये हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब कांग्रेस पश्चिम बंगाल में तृणमूल के साथ गठजोड़ कर सकती है क्योंकि राह में ‘बाधा’ अब अधीर नहीं हैं। वहीं सभी कांग्रेस के इस मामले पर माकपा और तृणमूल कांग्रेस, दोनों ही नजर रख रही है क्योंकि इससे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य के राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं। माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘अगला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौन बनेगा, यह उनका आंतरिक मामला है। अधीर चौधरी ने वामदलों के साथ मिलकर बंगाल में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह राज्य में तृणमूल एवं भाजपा दोनों का विरोध करने वालों में प्रमुख थे।’