कोलकाता : आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर से दुष्कर्म तथा हत्या के बाद से ही अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम काेर्ट ने अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राज्यों काे आदेेश दिया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नारायण स्वरूप निगम ने बताया कि क्या क्या कदम उठाया जा रहा है। शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार के नए ‘रात्रिर साथी’ दिशानिर्देशों के बाद प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे रेजिडेंट डॉक्टर सम्पूर्ण रूप से सुरक्षा में काम कर सकें इसे निश्चित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हम पहले ही स्टेटस रिपोर्ट दे चुके हैं। हमने सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक काम करना भी शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सीआईएसएफ तैनात की गई है। राज्य सरकार ने डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को स्वास्थ्य सचिव का संदेश
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हमने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की मांगें मान ली हैं। 21 अगस्त को प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गयी। उनकी सभी मांगें मान ली गई हैं। आरजी कर के प्रिंसिपल और सुपर को बदला गया। आरजी कर के चेस्ट मेडिसिन विभागाध्यक्ष एवं सहायक सुपर को हटा दिया गया है। नये प्रिंसिपल एवं सुपर दायित्व में हैं। यहां तक कि वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए 16 अगस्त को टीमें भी गठित की गई हैं। इसलिए अब वे काम पर लौट आएं।
ओएसडी नहीं, एक्स्ट्रा आर्डिनरी लीव पर हैं सन्दीप घोष
आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष एक्स्ट्रा आर्डिनरी लीव पर हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि वे स्वास्थ्य भवन में ओएसडी पद पर हैं जो पूरी तरह गलत है। स्वास्थ्य भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रिंसिपल सेक्रेटरी एन एस निगम ने कहा कि संदीप घोष को लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। वे एक्स्ट्रा आर्डिनरी लीव पर हैं। उनके ओएसडी होने का कुछ मीडिया का दावा पूरी तरह से गलत है।
इतने रेजिडेंट डॉक्टर्स हैं धरना पर
हर साल 2000 रेजिडेंट डॉक्टर्स जुड़ते हैं, 3 सालों में 6000 संख्या होती है। इसके साथ ही 3 साल का बांड होता है। इनकी संख्या 8-10 हजार तक पहुंच जाती है। इनमें से अधिकांश ही धरना पर है।
कल्याणी एम्स में काम पर लौटे डॉक्टर्स
दिल्ली एम्स के साथ ही कल्याणी एम्स में भी डॉक्टर काम पर लौट आये हैं। आरजी कर घटना के प्रतिवाद में एम्स में भी डॉक्टरों ने विरोध जताया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद अब वे काम पर लौट आये हैं।
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