
कैनेडियन विशेषज्ञों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक हुआ हो तो दवाई के साथ-साथ उसे जरूरत होती है अपने परिवार और सगे संबंधियों के सहयोग की जो उस व्यक्ति को निराशाजनक स्थिति से उबार सकें और उसमें जीने के प्रति चाह व लगाव पैदा कर सके। मेकगिल यूनिवर्सिटी मांट्रियल के प्रोफेसर के अनुसार अगर रोगी डिप्रेशन में हो तो सामाजिक सहयोग उसके जीवन जीने की चाह को बढ़ाने में मुख्य भूमिका अदा करता है। एक शोध में 887 व्यक्तियों का अध्ययन किया गया जिन्हें हार्ट अटैक हुआ था। उनमें से एक तिहाई लोगों में डिप्रेशन पाया गया। डिप्रेशनग्रस्त हृदय रोगी के लिए न केवल उसके परिवार का सहयोग बल्कि सगे संबधियों, दोस्तों आदि का संपर्क भी सहारा देता है जिससे उनका जीवन के प्रति लगाव बना रहता है।