वसंत पंचमी पर बन रहे कई शुभ योग, जानें मुहूर्त और सरस्वती पूजा विधि

कोलकाताः इस साल 26 जनवरी 2023, गुरुवार को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। ये पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ये पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ही विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना भी की जाती है। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि तीव्र होती है। साथ ही मां सरस्वती की कृपा से जातक को सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल की वसंत पंचमी बेहद खास है, क्योंकि इस बार वसंत पंचमी पर एक नहीं बल्कि चार शुभ योग बन रहे हैं। चलिए जानते हैं कौन से हैं वे शुभ योग और पूजा विधि…

वसंत पंचमी 2023 पर शुभ योग
शिव योग- पंचांग के अनुसार, 25 जनवरी को शाम 06 बजकर 15 मिनट से लेकर अगले दिन 26 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक शिव योग रहेगा। ऐसे में इस साल वसंत पंचमी की शुरुआत शिव योग में हो रही है।
सिद्ध योग- इस दिन शिव योग के समाप्त होते ही सिद्ध योग की शुरुआत हो जाएगी। 26 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन 27 जनवरी को दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक सिद्ध योग रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग- शिव और सिद्ध योग के अलावा वसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 06 बजकर 57 मिनट से लेकर अगले दिन 27 जनवरी को सुबह 07 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
रवि योग- इसके अलावा वसंत पंचमी पर रवि योग भी बन रहा है। 26 जनवरी को शाम 06 बजकर 57 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 07 बजकर 12 तक रवि योग रहेगा। पूजा के लिए ये चारों योग बेहद शुभ माने जाते हैं।
वसंत पंचमी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल माघ शुक्ल पंचमी की शुरुआत 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से हो रही है। ये तिथि 26 जनवरी को सुबह सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार वसंत पंचमी 26 जनवरी को ही मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 07 बजकर 12 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
मां सरस्वती पूजा विधि
वसंत पंचमी वाले दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं। आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें। फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।
मां सरस्वती के मंत्र
1- “या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”
2- ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्।
3- पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।
4-विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।
5- ह्रीं त्रीं हूं

 

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