कुंवारा पंचमी आज, जानें विधि के साथ किन पितरों का होता है श्राद्ध

कोलकाता: पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है, जो 25 सितंबर तक रहने वाले हैं । इस दौरान तिथिनुसार पितरों का श्राद्ध किया जाएगा । इस बीच आज यानी 14 सितंबर को पंचमी तिथि का श्राद्ध भी होगा, जिसे कुंवारा पंचमी कहते हैं । कुंवारा पंचमी पर अविवाहित पितरों का श्राद्ध किया जाता है । साथ ही जिन लोगों की मृत्यु पंचमी तिथि के दिन हो जाती है, उनका श्राद्ध भी इसी दिन होता है। इस दिन कुंवारे पितरों का विधिवत श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

कैसे करें पितरों का श्राद्ध?

पितृपक्ष की पंचमी तिथि सुबह स्नानादि के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। स्नान करने के बाद पितरों का खाना तैयार करें। इस भोग में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। भोग में खीर को जरूर शामिल करना चाहिए। इसके बाद अपने कुंवारे पितरों को याद करें। पितरों का श्राद्ध करने के बाद पहले चींटी, कुत्ता, कौवा और गाय जैसे जीवों को खाना खिलाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को भोज कराएं। इसके बाद उन्हें दान, दक्षिणा दें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

ये गलतियां करने से बचें
कुंवारा पंचमी के दिन प्याज, लहसुन या तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा बासी खाना, काला नमक, सफेद तिल, लौकी, मसूर की दाल, सरसों का साग, मांस और मदिरा पान से भी दूर रहें। कुंवारा पंचमी पर इन चीजों को खाने से पितृ नाराज हो सकते हैं। इस दिन मांगलिक या शुभ कार्य भी ना करें।

कुंवारा पंचमी से कितने श्राद्ध बाकी?
14 सितंबर – पंचमी का श्राद्ध- अविवाहित या पंचमी तिथि पर मृत्यु को प्राप्त होने वाले पितरों का श्राद्ध पंचमी तिथि को होता है। इसे कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहते हैं।

15 सितंबर – षष्ठी का श्राद्ध- जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि को हुई है, उनका श्राद्ध षष्ठी तिथि को किया जाता है।

16 सितंबर – सप्तमी का श्राद्ध- सप्तमी तिथि को चल बसे लोगों का श्राद्ध सप्तमी तिथि पर होगा।

17 सितंबर – इस दिन कोई श्राद्ध नहीं है।

18 सितंबर – अष्टमी का श्राद्ध- अष्टमी तिथि पर मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जाएगा।

19 सितंबर – नवमी का श्राद्ध- सुहागिन महिलाओं, माताओं का श्राद्ध नवमी को करना उत्तम होता है। इसे मातृनवमी श्राद्ध भी कहते हैं।

20 सितंबर – दशमी का श्राद्ध- जिनका देहांत दशमी तिथि पर हुआ है, उनका श्राद्ध इस दिन होगा।

21 सितंबर – एकादशी का श्राद्ध- एकादशी पर मृत संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है।

22 सितंबर – द्वादशी का श्राद्ध- द्वादशी के दिन मृत्यु या अज्ञात तिथि  वाले मृत संन्यासियों का श्राद्ध इस दिन किया जा सकता है।

23 सितंबर – त्रयोदशी का श्राद्ध- त्रयोदशी या अमावस्या के दिन केवल मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।

24 सितंबर – चतुर्दशी का श्राद्ध- जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना, बीमारी या खुदकुशी के कारण होती है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। फिर चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि पर हुई हो।

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