लोकसभा से महिला आरक्षण बिल पास, पक्ष में पड़े 454 वोट

नई दिल्ली: नए संसद भवन के लोकसभा से महिला आरक्षण बिल पास हो गया। लोकसभा में इसके समर्थन में कुल 454 वोट पड़े हैं। केंद्र सरकार ने 19 सितंबर को इस बिल को लोकसभा में पेश किया था। बीजेपी के अलावा इस बिल पर विपक्ष के इंडिया गठबंधन के नेताओं का भी समर्थन मिला है। वोटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। बता दें कि इस बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ रखा गया है।

विशेष सत्र के दौरान बिल पर हुई चर्चा

बता दें कि संसद के विशेष सत्र के दौरान इस बिल पर चर्चा हुई। बुधवार (20 सितंबर) को बिल पर चर्चा के दौरान पर्चियों से मतदान हुआ। लोकसभा में वोटिंग के दौरान इसके समर्थन में 454 वोट पड़े जबकि इसके विरोध में 2 वोट पड़े। इस बिल में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव है। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

पक्ष-विपक्ष के कई नेता चर्चा में हुए शामिल

ज्यादातर पार्टियों का समर्थन इस बिल को मिला है। केंद्र सरकार ने इस बिल को बड़ा कदम बताते हुए कहा कि जनगणना और परिसीमन जरूरी है। चर्चा के दौरान विपक्ष के दावों का केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी, अर्जुन मेघवाल समेत अन्य नेताओं ने जवाब दिया। वहीं विपक्ष की तरफ से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चर्चा की शुरुआत की। इसके बाद एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव, डीएमके सांसद कनिमोझी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई महिला विपक्षी सांसदों ने सरकार पर निशाना साधा।

राहुल गांधी ने उठाए कुछ सवाल

संसद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कुछ सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मैं बिल का समर्थन करता हूं, लेकिन ये बिल पूरा नहीं, अधूरा है। इसमें ओबीसी आरक्षण होना चाहिए था। राहुल गांधी ने कहा कि मैंने सवाल पूछा कि जो 90 सचिव हैं, जो कि हिंदुस्तान की सरकार चलाते हैं, इनमें से OBC कितने हैं, लेकिन मैं जवाब से हैरान रह गया। क्योंकि 90 में सिर्फ 3 ओबीसी सचिव हैं। राहुल ने कहा कि इस बिल में ओबीसी के आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए।

 

महिला सांसदों की बढे़गी संख्या

महिला आरक्षण लागू होने के बाद संसद के निचले सत्र में कम से कम 181 महिला सांसद होंगी। वर्तमान समय में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 78 है। अगर परिसीमन के बाद संसद सीटों की संख्‍या बढ़ती है तो महिला सांसदों की संख्‍या में भी बढ़ोतरी होगी। अगर राज्‍यों की बात की जाए तो फिलहाल ज्‍यादातर विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्‍व 15 फीसदी से भी कम है। वहीं, कई राज्‍य विधानसभाओं में तो महिलाओं की हिस्‍सेदारी 10 फीसदी से भी कम है। इसमें देश की 19 राज्यों की विधानसभा शामिल है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी है।

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