जिस दोस्त के भरोसे छोड़ीं मां और दादी, उसी ने कर दिया दोनों का मर्डर

नई दिल्लीः दिल्ली के डबल मर्डर केस में एक नया मोड़ आया है। यहां कातिल ने पहले बड़ी खामोशी से दो कत्ल किए और फिर लूटपाट को अंजाम दिया, लेकिन उसकी एक गलती ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। पुलिस ने जिस तरीके से डबल मर्डर की ये पहेली सुलझाई। वो भी कम दिलचस्प नहीं है। दिल्ली के वेलकम इलाके के रहनेवाले दो भाई जब चार दिन की छुट्टी मना कर मंगलवार यानी 16 अगस्त की सुबह अपने घर लौटे, तो इस दुनिया का सबसे खौफनाक मंजर उनका इंतजार कर रहा था। चूंकि एक ये एक एक्सटेंडेड वीकेंड था, शनिवार और रविवार के साथ सोमवार को पंद्रह अगस्त की भी छुट्टियां पड़ रही थी, दोनों भाइयों ने पहले ही घूमने-फिरने का प्लान बना लिया था, लेकिन 20 साल के शशांक और 18 साल के सार्थक जब छुट्टियां मना कर घर लौटे तो उनकी दुनिया ही उजड़ चुकी थी।
घर के अंदर खौफनाक मंजर
तभी सुबह के कोई चार बज रहे होंगे। दोनों भाइयों ने पहले कॉल बेल बजाई, दरवाजे पर कई बार दस्तक भी दी, लेकिन ना तो किसी ने घर में दरवाजा खोला और ना ही अंदर से कोई आवाज ही आई। ऐसे में दोनों भाइयों को लगा कि शायद घर में उनकी मां और बुजुर्ग दादी गहरी नींद सो रही हैं। दोनों ने अपने पास मौजूद चाबी से ही घर का दरवाजा खोल दिया। लेकिन के अंदर का मंजर देख कर दोनों कांप उठे। उनके रौंगटे खड़े हो गए और दोनों चिल्लाते हुए बाहर निकल आए। घर में मां और दादी दोनों का ही कत्ल हो चुका था। मां की खून से सनी लाश ग्राउंड फ्लोर पर बने उनके बेडरूम में पड़ी थी, जबकि दादी की लाश ऊपर उनके अपने बेडरूम में। घर का सारा सामान बिखरा हुआ और बेतरतीब पड़ा था। रुपये-पैसे और गहने जैसी तकरीबन सारी कीमती चीजें भी गायब थीं, जिसे देख कर साफ था कि दोनों का कत्ल लूटपाट के इरादे से किया गया है।
पुलिस के लिए चुनौती बना डबल मर्डर
सुबह सवेरे इलाके में डबल मर्डर की खबर से दिल्ली पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए। आनन-फानन में वेलकम थाने की पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंची और छानबीन शुरू की गई। दोनों नौजवान भाइयों यानी शशांक और सार्थक ने पुलिस को बताया कि वो 12 अगस्त को अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने हरिद्वार और ऋषिकेश की तरफ गए थे। दोनों भाइयों का पूजा सामग्री का कारोबार है और उनकी दिल्ली के चांदनी चौक में दुकान भी है, जबकि वो सालों से वेलकम इलाके के इसी सुभाष पार्क की गली नंबर 12 में रहते हैं, लेकिन जिस तरह से उनकी मां और दादी की हत्या हुई है, उस पर उनके लिए अब भी यकीन करना मुश्किल हो रहा है। अव्वल तो घर का बिखरा सामान भी इस दोहरे कत्ल के पीछे लूटपाट का इशारा दे रहा था, ऊपर से दोनों भाई इस वारदात के पीछे किसी पर शक भी नहीं जता रहे थे। ऐसे में पुलिस के लिए इस मामले की तह तक जाना एक चुनौती थी।

पड़ोसी को दी थी देखरेख की जिम्मेदारी
हां, पूछताछ में दोनों भाइयों ने अपने पड़ोस में रहनेवाले एक दूसरे नौजवान हर्षित का नाम जरूर लिया और बताया कि हर्षित उनका पुराना दोस्त है और छुट्टी पर जाने से पर उन्होंने हर्षित को ना सिर्फ इसके बारे में बताया था, बल्कि उनकी मां और दादी के साथ-साथ चांदनी चौक में मौजूद उनकी दुकान का भी ख्याल रखने की गुजारिश की थी। जाहिर है ऐसे में पुलिस के लिए हर्षित से पूछताछ करना भी लाजिमी था। अब पुलिस ने हर्षित से सवाल जवाब शुरू किया, लेकिन उसने पूरी मासूमियत से जवाब दिया कि उसे ना तो इस अपने दोस्तों के घर हुई लूटपाट का पता है और ना ही उनकी मां और बुजुर्ग दादी के कत्ल के बारे में कोई जानकारी है। हां, उसने इतना जरूर कहा कि शशांक और सार्थक के कहने के पर उसने दोनों भाइयों के जाने के बाद एक दो बार उनके घर जाकर उनकी मां और दादी से मुलाकात जरूर की थी, लेकिन ये सब कब हुआ, कैसे हुआ, किसने किया, इसके बारे में उसे कोई खबर नहीं है।

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