मानिक की पत्नी को मिली हाई कोर्ट से जमानत

नियुक्ति घोटाला मामले में पहली बार किसी को मिली रिहाई
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : प्राइमरी टीचर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्या की पत्नी सतरूपा भट्टाचार्या को सोमवार को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। जस्टिस तीर्थंकर घोष ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि ईडी इस बाबत सटीक जवाब नहीं दे पायी है कि उन्हें हिरासत में रखते हुए ट्रायल क्यों किया जाए। यहां गौरतलब है कि नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार अभियुक्तों में से पहली बार किसी को जमानत मिली है।
जस्टिस घोष ने आदेश दिया है कि सतरूपा भट्टाचार्या को एक लाख रुपए के बांड पर रिहा किया जाए। इसके साथ ही उन्हें 50-50 हजार रुपए की दो स्योरिटी देनी पड़ेगी, जिनमें एक लोकल होनी चाहिए। जस्टिस घोष ने अपने आदेश में कहा है कि यह साबित नहीं हो पाया है कि उन्होंने नियुक्तियों के लिए किसी से कोई पैसा लिया था। ईडी यह भी साबित नहीं कर पायी है कि अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है तो वे साक्ष्यों को प्रभावित कर सकती हैं। अभियुक्त पांच माह से जेल हिरासत में है इस लिए अब और हिरासत में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्हें अपना पासपोर्ट सीबीआई कोर्ट में जमा करना पड़ेगा और पश्चिम बंगाल से बाहर जाने पर कोर्ट की अनुमति लेनी पड़ेगी। मनी लांडरिंग के मामले में सम्मन देने के बावजूद ईडी ने उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया। अभियुक्त ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। इस मामले में जस्टिस घोष ने सीबीआई कोर्ट की भूमिका की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि इस मामले को बाद में देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि जब अभियुक्त ने सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था उस समय कोर्ट को उन्हें या तो जमानत पर रिहा करना था या जेल में भेजा जाना था। जब अभियुक्त कोर्ट में दोबारा हाजिर हुई तो उसे जेल हिरासत में भेज दिया गया। जस्टिस घोष ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त से अभी तक केवल एक बार पूछताछ की गई है और वह भी गिरफ्तारी से पहले की गई थी। माना कि मानिक भट्टाचार्या ने अवैध नियुक्तियों के लिए पैसा लिया था पर उसमें सतरूपा की भागीदारी किस तरह साबित हुई है। ईडी की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट फिरोज इदुलजी की दलील थी कि यह सिर्फ पैसे का सवाल नहीं है एक पीढ़ी के भविष्य को नष्ट कर दिया गया है। वे सिर्फ घरेलू महिला नहीं थी बल्कि इस घोटाले में उनकी सक्रिय भूमिका रही है। उनके साथ एडवोकेट अनामिका पांडे भी थी। सतरूपा की तरफ से बहस कर रहे एडवोकेट जिष्णु साहा का सवाल था कि बात तो कर रहे हैं कस्टडियल ट्रायल की पर अभियुक्त से केवल एक ही बार पूछताछ की गई है। इससे साबित हो जाता है कि ईडी इस मामले में कितना संजीदा है।

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