नयी दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि केरल में भूस्खलन की विनाशकारी घटना से 7 दिन पहले ही राज्य सरकार को केन्द्र सरकार की ओर से पूर्व चेतावनी दी गयी थी। 23 जुलाई को एनडीआरएफ की 9 टीमों को भी वहां रवाना कर दिया गया था। यदि राज्य सरकार इन टीमों को देखकर भी ‘अलर्ट’ हो गयी होती तो काफी कुछ बच सकता था। 24 एवं 25 जुलाई को फिर चेतावनी दी गयी और 26 जुलाई को कहा गया कि 20 सेंटीमीटर से अधिक तथा भारी वर्षा होगी, भूस्खलन की आशंका है, गाद भी बहकर नीचे आ सकता है, लोग इसके अंदर दबकर मर भी सकते हैं।
केरल सरकार ने लोगों को स्थानांतरित क्यों नहीं किया? : उन्होंने प्रश्न उठाया कि केरल सरकार ने समय रहते संवेदनशील स्थलों से लोगों को दूसरी जगह स्थानांतरित क्यों नहीं किया, यदि किया तो इतने लोग मारे कैसे गये? उन्होंने ओडिशा सरकार को चक्रवात के बारे में 7 दिन पहले दी गयी चेतावनी का उदाहरण दिया और कहा कि उस चक्रवात में केवल एक व्यक्ति की जान गई, वह भी गलती से। गुजरात को इसी प्रकार चक्रवात की तीन दिन पहले चेतावनी दे दी गयी और वहां एक पशु तक नहीं मरा। उच्च सदन में भूस्खलन पर लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर स्पष्टीकरणों का जवाब देते हुए शाह ने यह बात कही।
सरकार ने चेतावनी तंत्र पर 2000 करोड़ खर्च किये हैं : गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने 2014 के बाद पूर्व चेतावनी तंत्र पर 2000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं तथा सात दिन पहले राज्यों को चेतावनी दी जाती है। गर्मी, तूफान, चक्रवात, वर्षा और आकाशीय बिजली का पूर्व चेतावनी तंत्र है।
शाह ने कहा कि यह समय केरल के वायनाड की जनता के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने का है। हम आपदा प्रबंधन पर इसी सत्र में एक विधेयक लाएंगे।