कोलकाता : अक्सर ही लोग पहाड़ की खुबसूरत वादियों में खो जाना चाहते हैं। पहाड़ की खुबसूरती का भरपूर आनंद लेने के लिये काफी लोग बाइक से पहाड़ में सफर करना पसंद करते हैं। इनमें भी कई ऐसे बाइक राइडर्स हैं जो देश के किसी भी कोने में रहें, लेकिन अपने घर से पहाड़ तक का सफर बाइक से ही करते हैं। कुछ ऐसा ही किया है हावड़ा के दासनगर के रहने वाले प्रसेनजीत माइती ने। प्रसेनजीत का व्यवसाय है और उनके घर में उनकी मां के अलावा पत्नी और 2 बच्चे हैं। यूं तो प्रसेनजीत कई बार अपने घर से देश के विभिन्न पहाड़ी इलाकों जैसे कि सिक्किम, हिमाचल, दार्जिलिंग आदि का सफर कर चुके हैं, लेकिन इस बार प्रसेनजीत के बड़े बेटे पुष्पक माइती ने अलग ही रिकॉर्ड बनाया। 9 साल का पुष्पक कक्षा 3 में पढ़ता है। इस बार उसने अपने पिता प्रसेनजीत के साथ अपने घर से लेकर लद्दाख तक का सफर बाइक से किया और इसके साथ ही पुष्पक भारत में सबसे कम उम्र में 19,000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचने वाला किशोर बन गया। इससे पहले उत्तराखण्ड का आयुष नेगी 16 साल की उम्र में यहां पहुंचा था। सन्मार्ग से बातचीत में प्रसेनजीत माइती ने अपनी इस यात्रा से जुड़े अनुभव साझा किये।
इस तरह पहुंचे लद्दाख तक
प्रसेनजीत ने अपने घर दासनगर से गत 19 मई को यात्रा की शुरुआत की और वापस अपने घर पर 10 जून को पहुंचे। अपने बेटे पुष्पक के साथ वह बनारस, आगरा, कटरा समेत कई शहरों की यात्रा करते हुए लद्दाख तक पहुंचे। इस दौरान 5,000 कि.मी. से अधिक की यात्रा प्रसेनजीत और पुष्पक ने की।
दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास है उमलिंग ला पास
प्रसेनजीत ने अपने बेटे पुष्पक के साथ लद्दाख के उमलिंग ला पास की यात्रा की जो दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास है। यह 19024 फीट यानी 5798 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वर्ष 2021 में उमलिंग ला पास को दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास होने का सर्टिफिकेट गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से मिला था।
देश में सबसे अधिक ठण्ड वाली जगह पर भी पहुंचे
ड्रास जिसे ‘गेटवे ऑफ लद्दाख’ कहा जाता है, वह रहने के लिये देश की सबसे ठण्डी जगह होने के साथ ही दुनिया में दूसरी सबसे ठण्डी जगह भी है। जाड़े के समय में यहां का तापमान -20 डिग्री तक गिर जाता है। पिता-पुत्र की जोड़ी ने इस स्थान की भी यात्रा की।
दोस्तों ने किया था मना मगर बेटे को जाना था
प्रसेनजीत माइती ने कहा, ‘किसी तरह का रिकॉर्ड बनाने की बात सोचकर हमने यह यात्रा नहीं की। छुट्टियां चल रही थीं तो मैंने जाने की योजना बनायी, लेकिन बेटा भी जाने के लिये अड़ गया था। मेरे दोस्तों ने काफी मना किया था, लेकिन बेटे को जाना था इसलिये मैं उसे लेकर निकल गया। हालांकि उमलिंग ला पास और ड्रास जैसी जगहों में जाना काफी अद्भुत अनुभव रहा। शुरुआत में जब हमलोग समतल में थे तो उस समय गर्मी के कारण काफी परेशानी होती थी। इस कारण हम लोग रात 8 बजे से निकलते थे और सुबह 10 बजे तक यात्रा कर दिनभर किसी होटल में ठहर जाते थे। हमने सोचा था कि इस मुश्किल भरी यात्रा में कुछ परेशानियां हो सकती हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पुष्पक को भी कोई परेशानी नहीं हुई। हमने उपाय के लिये हाई ऑल्टीट्यूड में जाने हेतु ऑक्सीजन समेत कई दवाइयां साथ में रखी थीं, लेकिन इनकी जरूरत नहीं पड़ी।’