कोलकाता : भाई-बहन के प्यार का त्यौहार रक्षाबंधन आस्था और विश्वास का पर्व है। यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस दिन भाई भी अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन के दिन और शुभ मुहूर्त को लेकर दुविधा बनी हुई है। आइए जानते हैं कि रक्षाबंधन किस दिन मनाया जाएगा और इसका शुभ मुहूर्त क्या है।
रक्षाबंधन पर भद्रा का साया
इस बार सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को है, लेकिन इस दिन भद्रा का साया है। अगर पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया हो तो भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। भद्राकाल के समापन के बाद ही राखी बांधनी चाहिए। 30 अगस्त के दिन भद्राकाल रात में 9 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगा। इसके बाद ही राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू होगा।
रक्षाबंधन 2023 का राहुकाल
30 अगस्त 2023 को मध्यान्ह 12:20 से 1:54 तक राहुकाल रहेगा और प्रात: 10:19 मिनट से पंचक शुरू होंगे।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
इस बार रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त बहुत ही कम समय का है। 30 अगस्त को रात में 9 बजकर 2 मिनट पर भद्राकाल समाप्त होगा। वहीं सावन पूर्णिमा 31 अगस्त को सुबह 7.05 मिनट पर खत्म होगी। इसलिए रात में भद्रा खत्म होने के बाद और 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले राखी बांधी जा सकती है।
भद्राकाल में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्राकाल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का अंत हुआ। रावण के पूरे कुल का विनाश हो गया. इस वजह से ही भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। वहीं, एक मान्यता यह भी है कि भद्रा के वक्त भगवान शिव तांडव करते हैं और वो काफी क्रोध में होते हैं। उस समय कुछ भी शुभ कार्य करने पर शिव जी के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए भद्राकाल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।