कोलकाता: हरतालिका तीज प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत और महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और खासकर महिलाएं इसे व्रत के रूप में रखती हैं। इस दिन को विशेष रूप से माता पार्वती और भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का दिन माना जाता है।
व्रत का महत्व और मान्यता
हरतालिका तीज का व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएं अपने इच्छित वर के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन, महिलाएं पूरे दिन उपवास करती हैं और केवल फल, दूध, और अन्य व्रत के अनुकूल आहार का सेवन करती हैं। इस दिन को विशेष रूप से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन माना जाता है।
पूजा विधि और आयोजन
हरतालिका तीज के दिन, महिलाएं प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान करती हैं और अपने घर की सजावट करती हैं। वे आमतौर पर घर के आंगन में एक पवित्र स्थान पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान, महिलाएं मिट्टी की छोटी मूर्तियों को सजाकर उनकी पूजा करती हैं और व्रत के अनुष्ठान पूरी श्रद्धा से करती हैं। पूजा के बाद, महिलाएं व्रत की कथा सुनती हैं, जिसमें माता पार्वती की कठिन तपस्या और भगवान शिव से विवाह की कथा होती है। कथा सुनने के बाद, महिलाएं सामूहिक रूप से तीज गीत गाती हैं और मिठाइयों का प्रसाद वितरित करती हैं।
हरतालिका तीज के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर विशेष आयोजनों का आयोजन किया जाता है। महिलाएं समूह में इकट्ठा होकर पूजा करती हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। इस दिन को लेकर कई स्थानों पर मेले और उत्सव भी आयोजित किए जाते हैं, जहां महिलाएं पारंपरिक परिधान में सज-धज कर आती हैं और विभिन्न प्रकार की रंगीन झांकियों और नृत्यों का आनंद लेती हैं।