नयी दिल्ली : भारत के महान स्पिनर अनिल कुंबले ने 2002 के एंटीगा टेस्ट में टूटे हुए जबड़े के साथ वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ गेंदबाजी की थी। जब उन्होंने यह फैसला लिया तो उनकी पत्नी चेतना को लगा कि वह मजाक कर रहे हैं। उस समय कैरेबियाई टीम में ब्रायन लारा जैसे बल्लेबाज थे जिन्हें कुंबले सबसे कठिन प्रतिद्वंद्वियों में से एक मानते हैं।
उनके पास एक गेंद के लिये तीन शॉट हुआ करते थे। इसके बावजूद कुंबले ने ऐसा साहसिक फैसला लिया और टूटे हुए जबड़े के साथ लगातार 14 ओवर डाले और लारा को भी आउट किया। दरअसल पांच मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर थी और चौथा टेस्ट मैच चल रहा था। कुंबले बल्लेबाजी करने उतरे और उन्हें मर्वन डिल्लन की उठती हुई गेंद जबड़े पर लगी। उनके मुंह से खून निकलने लगा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
कुंबले ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैने अपनी पत्नी चेतना को बताया और कहा कि मुझे आॅपरेशन के लिये भारत लौटना है। उसने बेंगलुरू में सब व्यवस्था कर दी।’ उन्होंने कहा, ‘फोन रखने से पहले मैने उसे कहा कि मैं गेंदबाजी करने जा रहा हूं। उसे लगा कि मैं मजाक कर रहा हूं। उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया।’
पूर्व कप्तान ने कहा कि जबड़ा टूटने के बावजूद उन्हें लगा कि टीम के लिये कुछ विकेट लेना उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘मैं ड्रेसिंग रूम में गया तो मैने देखा सचिन गेंदबाजी कर रहा है क्योंकि वही टीम में ऐसा था जो गेंदबाजी कर सकता था। उस समय वावेल हाइंड्स बल्लेबाजी कर रहे थे।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि मेरे लिये यही मौका है। मुझे जाकर विकेट लेने होंगे। अगर हम उनके तीन या चार विकेट ले सके तो मैच जीत सकते हैं। मैने एंड्रयू लीपस से कहा कि मुझे जाना है।’ कुंबले को अगले दिन बेंगलुरू लौटना था। उन्होंने उस समय कहा, ‘कम से कम मैं इस सोच के साथ तो घर जाऊंगा कि मैने पूरी कोशिश की।’
कुंबले को सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए मर्विन डिल्लों की गेंद लगी थी लेकिन खून बहने के बावजूद उन्होंने 20 मिनट और बल्लेबाजी की। अपने समय के सबसे कठिन बल्लेबाजों में उन्हें लारा, सईद अनवर, जाक कैलिस और अरविंद डिसिल्वा का नाम लिया।
उन्होंने कहा, ‘यह अच्छी बात है कि उस दौर के अधिकांश बेहतरीन बल्लेबाज मेरी टीम में थे। सचिन, राहुल, सौरव, वीरू, लक्ष्मण इन सभी को गेंदबाजी करना कितना मुश्किल होता। वैसे अरविंद डिसिल्वा को गेंदबाजी करना कठिन था और लारा के पास तो हर गेंद के लिये तीन शॉट होते थे।’