चंद्रयान-3 के रॉकेट का हिस्सा 5 महीने बाद प्रशांत महासागर में गिरा

नई दिल्ली: भारत ने चांद के दक्षिणी हिस्से में चंद्रयान-3 की लैंडिंग 23 अगस्त को करवा कर दुनियाभर में इतिहास रच दिया था। चंद्रयान के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर सौरमंडल निर्माण के रहस्य, पानी और कई खनिज समेत कई चीजों पर रिसर्च किया था। अब ISRO ने इस कार्यक्रम को लेकर एक और बड़ी अपडेट साझा की है। चंद्रयान-3 का एक अहम हिस्सा वापस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया है।

क्रायोजेनिक हिस्सा वापस आया

ISRO ने बताया है कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने वाले एलवीएम3 एम4 प्रक्षेपण यान का ‘क्रायोजेनिक’ ऊपरी हिस्सा बुधवार को पृथ्वी के वायुमंडल में अनियंत्रित रूप से फिर से प्रवेश कर गया है। ISRO की ओर से जानकारी दी गई है कि रॉकेट बॉडी जो कि चंद्रयान-3 यान का हिस्सा था, वह पृथ्वी के वायुमंडल में वापस से प्रवेश कर गया है।

 

भारत के ऊपर से नहीं गुजरा

ISRO की ओर से जारी की गई जानकारी ते मुताबिक, चंद्रयान-3 के इस हिस्से का अंतिम ‘ग्राउंड ट्रैक’ भारत के ऊपर से नहीं गुजरा है। इसके संभावित प्रभाव बिंदु का अनुमान उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर लगाया गया है। बता दें कि रॉकेट बॉडी के फिर से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश इसके प्रक्षेपण के 124 दिनों के भीतर हुई है।

अभी कहां हैं विक्रम और प्रज्ञान?

लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने अपने मिशन को सफलता से अंजाम देकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कई रिसर्च की थी। काम समाप्त होने और चंद्रमा में अंधेरे का समय आने के बाद इसरो ने दोनों उपकरणों को स्लीप मोड में डाल दिया था। हालांकि, विक्रम लैंडर के रिसीवर को ऑन ही रखा गया था ताकि इससे धरती से दोबारा संपर्क स्थापित किया जा सके।

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