बंगाल की सांस्कृतिक परंपराओं को डिजिटलाइज करने के लिए जर्मन सरकार की विशेष मुहिम

कोलकाता सुकृति फाउंडेशन को प्रोजेक्ट पार्टनर बनाया और दिया 51 लाख रु.
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : बंगाल की सांस्कृतिक परंपराओं को विश्व पटल तक पहुंचाने के लिए जर्मन सरकार की ओर से विशेष पहल की गयी है। इसके तहत इन सांस्कृतिक गतिविधियों को दस्तावेजीकरण करने तथा डिजिटलाइज करने के लिए प्रोजेक्ट पार्टनर कोलकाता सुकृति फाउंडेशन को 60,000 यूरो यानी 51,00,000 रु. की फंडिंग की गयी है। इससे बंगाल के कुछ अमूर्त पारंपरिक लोक प्रदर्शन कला रूपों जैसे पता खुमुर, रबोन काटा नाच, कुर्माली मशीनी, बोहुरूपी, सपुरिया गान, जेले पारार सांग, हापू का दस्तावेजीकरण किया जाएगा। जर्मन कांसुल जनरल, कोलकाता के मैनफ्रेड ऑस्टर ने बताया कि सांस्कृतिक संरक्षण कार्यक्रम बहुआयामी है। यह न केवल ऐतिहासिक स्थलों के महत्व को बनाए रखता है, बल्कि संस्कृति को व्यापक अर्थों में संरक्षित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। उदाहरण के लिए, संगीत और नृत्य में परंपराओं का दस्तावेजीकरण करने से आने वाली पीढ़ियां संस्कृति की समृद्धि का अनुभव कर सकेंगी। इस जर्मन कार्यक्रम के माध्यम से आर्ट्स को स्थायी रूप से आगे ले जाया जा सकता है। हमें इसे एक बार फिर कोलकाता में प्रदर्शित करने पर गर्व है। यह शहर सही मायने में भारत की सांस्कृतिक राजधानी है। जर्मन सरकार की ओर से 1981 से 2021 तक 147 देशों में 3500 से अधिक परियोजनाओं को इस कार्यक्रम के तहत लगभग 86 मिलियन यूरो का समर्थन दिया गया है। 2019 में, कोलकाता में महावाणिज्य दूतावास ने बंगाल के जटिल और उत्कृष्ट पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करने के लिए स्थानीय संस्थाओं के साथ जुड़कर काम किया है। इस मौके पर अभिजीत दास गुप्ता सहित कई लोग मौजूद थे।

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