बेहतर काम के साथ अधिक रेट के कारण काफी संख्या में दूसरे राज्यों में जाते हैं श्रमिक | Sanmarg

बेहतर काम के साथ अधिक रेट के कारण काफी संख्या में दूसरे राज्यों में जाते हैं श्रमिक

मिडिलमैन लेकर जाते हैं दूसरे राज्यों में
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : पहले कोरोमण्डल ट्रेन हादसा और अब मिजोरम में निर्माणाधीन ब्रिज के गिरने से पश्चिम बंगाल के लगभग 150 लोगों की जान चली गयी। इसमें लगभग सभी प्रवासी श्रमिक थे जो काम के लिये दूसरे राज्यों में जाते हैं। कोरोमण्डल के बाद मिजोरम हादसे को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों इतनी भारी संख्या में लोगों को पश्चिम बंगाल छोड़ दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। इसके पीछे दो ही कारण उभरकर सामने आ रहे हैं। एक कारण है कि दूसरे राज्यों में लोगों को बेहतर काम मिलता है और इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के मुकाबले अन्य राज्यों में एक दिन की कमाई भी अधिक होती है। पश्चिम बंगाल सरकार अथवा भारत सरकार के पास इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि आखिर हर साल कितने प्रवासी श्रमिक दूसरे राज्यों में जाते हैं, लेकिन प्रवासी श्रमिकों से जुड़े संगठनों का मानना है कि अनाधिकारिक तौर पर हर साल लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिक काम के सिलसिले में दूसरे राज्यों में जाते हैं।
ग्रामीण इलाकाें में नहीं मिलता ढंग का काम
अन्य राज्याें में काम के लिये जाने के मुख्य कारणों में एक यह भी है ​कि ग्रामीण बंगाल में ढंग का काम नहीं मिलता है। इसके अलावा बंगाल के मुकाबले दूसरे राज्यों में काम की दर भी श्रमिकों को अधिक मिलती है। ऐसे में परिवार के भरण-पोषण के लिये दूसरे राज्यों में जाने के अलावा कोई विकल्प उनके पास नहीं बचता है।
इन जिलों से अधिक है दूसरे राज्यों में जाने वालों की संख्या
सीटू की राज्य कमेटी के सेक्रेटरी देवांजन चक्रवर्ती ने सन्मार्ग को बताया, ‘मुख्य तौर पर उत्तर बंगाल, उत्तर व दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली और बर्दवान पूर्व के एक भाग से लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिक दूसरे राज्यों में जाते हैं। उत्तर बंगाल में भी उत्तर दिनाजपुर, मालदह व मुर्शिदाबाद से जाने वालों की संख्या अधिक होती है।’
केरल में सबसे अधिक जाते हैं लोग
सबसे अधिक संख्या में बंगाल से श्रमिक केरल में जाते हैं क्योंकि यहां काम की सबसे अच्छी दर मिलती है। केरल के अलावा मुंबई में भी काफी संख्या में लोग जाते हैं। राजस्थान व हरियाणा में भी काफी संख्या में प्रवासी श्रमिक ​जाते हैं। वहीं उत्तर बंगाल के लोेग कश्मीर घाटी में काम के लिये जाते हैं। दूसरे राज्यों में कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र से लेकर पर्यटन, टेक्सटाइल, ऑटो ड्राइवर, रिक्शा चालक जैसे काम प्रवासी श्रमिक करते हैं। देवांजन चक्रवर्ती ने कहा कि माइग्रेंट वर्कर्स रेगुलेशन मोदी सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया था जबकि हम काफी पहले से मांग कर रहे हैं यह रेगुलेशन वापस लाया जाना चाहिये।
दर में होता है काफी अंतर
लेबर कांट्रैक्टर का काम करने वाले मो. सराबती ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक दिन में लेबर को 400-500 रुपये मिलता है। वहीं मिस्त्री को 700-800 रुपये तक एक दिन में मिल जाते हैं। वहीं दूसरे राज्यों में एक दिन में लेबर को 700 से 900 रुपये तक मिलते हैं जबकि स्किल्ड लेबर यानी मिस्त्री वगैरह को 1000 से 1200 रुपये प्रतिदिन मिल जाते हैं। केरल के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे राज्यों में अच्छी दर प्रवासी श्रमिकों को मिलती है। इसके अलावा गहनों की कटिंग करने वालों की आय भी दूसरे राज्यों में काफी अच्छी हाेती है। अब यूं तो कंप्यूटर से गहनों की डिजाइन अधिक होती है, इस कारण हीरो और स्टोन की क​टिंग करने वालों की मांग अधिक है।
सीएम ने की वापस आने की अपील तो शुभेंदु ने दिया जवाब
गत बुधवार को सीएम ममता बनर्जी ने प्रवासी श्रमिकों के वापस आने की अपील की तो विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण लोग दूसरे राज्यों में जाने को बाध्य हैं। बंगाल में मिडिलमैन लोगों को दूसरे राज्यों में जाने का ऑफर देते हैं क्योंकि वे सस्ती दरों पर श्रमिकों को देते हैं। हालांकि इसमें काफी जोखिम होता है क्योंकि यह काम करने के लिये जो स्किल चाहिये, वह उनके पास नहीं होती है। इसके बावजूद राज्य में राेजगार नहीं मिलने के कारण उन्हें दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है।

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