कोलकाता : आधुनिक समय में जीवन शैली में इतने बदलाव आने के कारण हर तीन में से एक व्यक्ति बदलती जीवन शैली से संबधित बीमारी का शिकार हो रहा है जिसमें स्पाइन की समस्या भी युवा लोगों में बढ़ती जा रही है। जवां लोगों में लोअर बैक पेन, सरवाइकल, स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं देखी जा रही हैं। ज्यादातर ये समस्याएं हमारी गलत आदतों से पैदा होती हैं। अगर हम शुरू में नजरअंदाज करते हैं तो समस्याएं बढ़ जाती हैं जैसे गलत तरीके से झुकना, गलत तरीके से सोना, आफिस में गलत तरीके से बैठना,उठना, लंबे समय तक ड्राइविंग करना या सफर करना, लंबे समय तक आफिस में काम करना, अधिक भारी चीज उठाना, पैर से भारी चीज को सरकाना।
लक्षण
●शरीर के विभिन्न या किसी एक अंग में आई अकड़न से परेशानी।
●लगातार पीठ में दर्द रहना।
●मांसपेशियों में खिंचाव, पैरों और तलवों का सुन्न होना।
●सिर,कंधों में दर्द रहना, विशेषकर जब ज्यादा काम करना पडे़।
●पैदल अधिक चलने पर कमजोरी महसूस होना या तेज चलने पर कमजोरी महसूस होना।किन बातों पर ध्यान दें
●अधिक देर तक ड्राइविंग करने से अगर सीट और स्टीयरिंग ह्वील का फासला उचित न हो तो कमर, पीठ व गर्दन दर्द की समस्या बढ़ सकती है। पीठ को सीट के साथ लगा कर सीधे बैठें और स्टीयरिंग ह्वील को छाती की ऊंचाई के बराबर रखें।
●अगर आप आफिस कर्मी हैं तो कुर्सी का चुनाव ठीक होना चाहिए, आपकी पीठ का निचला हिस्सा कुर्सी की बैक के निचले हिस्से के साथ सटा होना चाहिए ताकि पीठ को सपोर्ट मिल सके। कंप्यूटर के मॉनिटर की स्क्रीन की ऊंचाई आपकी आंखों के समानांतर होनी चाहिए।
●गलत तरीके से झुकने के कारण या जमीन से कोई सामान उठाने के कारण लोअर बैक पेन की समस्या जन्म ले लेती है। इसके लिए पहले घुटनों को खोलें। हो सके तो घुटनों पर बैठकर सामान उठाएं। अगर घुटनों पर बैठने में समस्या हो तो घुटनों को थोड़ा झुकाते हुए मुडे़ं और सामान को उठाएं।●कम्प्यूटर के माउस और की-बोर्ड, मोबाइल पर चैट करने, मैसेजेज़ करने से, व्हाट्स ऐप यूज करने से उंगलियों और कलाई में झनझनाहट होने लगती है। यह कार्पल टनल सिंड्रोम के लक्षण होते हैं। इन चीजों का प्रयोग करते समय या आफिस में काम करते समय थोड़ा आराम अवश्य दें।
●जरूरी है संतुलित आहार का सेवन। स्वस्थ रहने के लिए फलों, नारियल पानी, ताजे फलों का रस, सब्जियों का रस, हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित अनाज, नट्स, दूध, दही का सेवन नियमित करें। दूध और दही कम फैट वाला लेंं। ओट्स और दलिये का सेवन करने से शरीर को पर्याप्त रेशा मिलता है। इसेे भी लेते रहेें ताकि पेट साफ रहे।
दिनचर्या में शामिल करें इन्हें
●लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का प्रयोग लाभप्रद होता है। अगर घुटने पहले से खराब हैं तो लिफ्ट का प्रयोग करें।
●अगर प्रात: सैर पर नहीं जा सकते या व्यायाम नहीं कर सकते तो कुछ समय ट्रेडमिल पर चलें।
●आलस्य दूर कर प्रात: उठें और साथ वाले पार्क में सैर और हल्के व्यायाम करना सबसे उत्तम है।
●थोड़ी सी दूरी पर जाने के लिए रिक्शा या टू ह्वीलर का प्रयोग न करें। पैदल ही चल कर जाएं।
●काम पर जाते हैं तो कुर्सी पर बैठे हुए हल्के व्यायाम करने की कोशिश करें। पैरों की स्ट्रेचिंग करें, पैरों को थोड़ा ऊपर उठाएं, रुके फिर वापस लाएं। पैरों की उंगलियों को स्ट्रेच करें।
●कुर्सी से थोडे़ अंतराल के बाद उठें, थोड़ा टहल कर आएं ताकि कमर और टांगों में खून का दौरा सामान्य बना रहे।
●अवसर देखते ही अपनी बांहों को ऊंचा कर अंगड़ाई लें ताकि बाजुओं व कंधों की मूवमेंट बनी रहे।
●अपनी आंखेें को बंद करें, खोलें। इस प्रकार थोडे़ अंतराल में आंखों का व्यायाम भी कर लें।
●गर्दन को भी दाएं,बाएं, ऊपर नीचे धीरे-धीरे घुमाएं ताकि गर्दन और कंधों में अकड़न न आने पाएं।
●अगर आफिस पूल कर जाने की सुविधा हो तो पूल कर जाएं ताकि आपको ड्राइविंग कम करनी पड़ें।
●अपना खाना घर से ले जाएं। कैंटीन या बाहर का खाना मजबूरी में ही खाएं।
●पानी की बोतल अपने वर्क स्टेशन पर रखें और थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें।