केजरीवाल दो दिन में देंगे इस्तीफा | Sanmarg

केजरीवाल दो दिन में देंगे इस्तीफा

नई दिल्ली : 13 सितंबर को जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की कि वे दो दिन में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। यह घोषणा उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) के दफ्तर में की। केजरीवाल ने कहा, “भाजपा ने मुझ पर बेईमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। अब जनता की अदालत में मेरी ईमानदारी का फैसला होगा। दो-तीन दिन में पार्टी विधायकों की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा। चुनाव तक मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।” उन्होंने यह भी बताया कि मनीष सिसोदिया, जिन पर भी वही आरोप हैं, पद पर नहीं रहेंगे और चुनाव के बाद ही अपने पद की जिम्मेदारी संभालेंगे।

केजरीवाल के इस्तीफे के बाद की स्थिति

मुख्यमंत्री कौन होगा?
केजरीवाल ने कहा कि यह जनता तय करेगी कि वे ईमानदार हैं या बेईमान। चुनाव के बाद अगर जनता उन्हें चुनेगी, तो वे फिर से पद संभालेंगे। फिलहाल, पार्टी दो-तीन दिन में नया मुख्यमंत्री चुनेगी। संभावित नामों में आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, और सुनीता केजरीवाल शामिल हैं।

इस्तीफे के बाद केजरीवाल की योजनाएं
5 अक्टूबर को हरियाणा में मतदान होना है, जहां कांग्रेस के साथ AAP का गठबंधन नहीं हुआ है। पार्टी ने सभी 90 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। केजरीवाल का पूरा ध्यान अब हरियाणा के चुनाव प्रचार पर होगा। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में भी AAP हिस्सा ले रही है।

केजरीवाल की स्पीच और संदेश
भगत सिंह की किताब: केजरीवाल ने सभा में भगत सिंह की जेल डायरी पेश की और कहा कि भगत सिंह के खत अंग्रेज बाहर ले जाते थे, जबकि उनकी चिट्ठी एलजी तक नहीं पहुंचाई गई।
खुद को क्रांतिकारी मुख्यमंत्री कहा: केजरीवाल ने कहा कि भगत सिंह के बाद आजाद भारत में एक क्रांतिकारी मुख्यमंत्री जेल गया है।
माता सीता की अग्निपरीक्षा: उन्होंने अपनी स्थिति की तुलना माता सीता की अग्निपरीक्षा से की।
गैर-भाजपाई CM को सलाह: केजरीवाल ने अन्य गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री से अपील की कि अगर पीएम उन्हें जेल भेजे तो इस्तीफा न दें।
दिल्ली विधानसभा चुनाव: उन्होंने नवंबर में चुनाव कराने की मांग की, ताकि चुनाव के समय पर फैसला किया जा सके।

केजरीवाल के इस्तीफे के मायने

CM पर पावर नहीं: दिल्ली शराब नीति केस में केजरीवाल जेल से जमानत पर बाहर आए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें CM ऑफिस में न जाने और किसी फाइल पर साइन न करने की शर्त दी है। इसलिए, उनके पास कोई अधिकार नहीं रह गया है।

5 महीने का कार्यकाल बचा: दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म होगा, और चुनाव में केवल 5 महीने बचे हैं। इस दौरान, सरकार लोकलुभावन निर्णय ले सकती है। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों के तहत बंधे हुए हैं और उनकी स्थिति का उपयोग चुनाव की रणनीति के लिए किया जा सकता है।

भाजपा के साथ विवाद: भाजपा ने लंबे समय से केजरीवाल से इस्तीफा देने की मांग की थी। केजरीवाल का इस्तीफा इस मांग का जवाब भी हो सकता है, और इससे भाजपा के आरोपों का सामना करने में उन्हें सहायता मिलेगी।

इस्तीफे पर अन्य पार्टियों के बयान
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा: उन्होंने कहा कि जनता ने पहले ही अपना फैसला सुना दिया था।
दिल्ली कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित: उन्होंने केजरीवाल के इस्तीफे को नौटंकी बताया और कहा कि नैतिकता और केजरीवाल के बीच कोई संबंध नहीं है।
AAP राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा: उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने 2020 में काम के आधार पर वोट मांगे थे और अब जनता AAP को वोट देकर उन्हें ईमानदार साबित करेगी।

शराब नीति केस का संदर्भ
केजरीवाल ने शराब नीति के मामले में 156 दिन तिहाड़ जेल में बिताए। उन्हें 21 मार्च को ED ने गिरफ्तार किया, और 1 अप्रैल को तिहाड़ भेजा गया। 10 मई को लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए रिहाई मिली, लेकिन 2 जून को उन्होंने फिर से सरेंडर कर दिया। CBI ने उन्हें 26 जून को गिरफ्तार किया। 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी।

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