हुगली : बंगाल में आलू की कीमत को नियंत्रित करने के लिए अन्य राज्यों में आलू के निर्यात को रोक दिया गया है। बंगाल में उपजे आलू को बिहार, उड़ीसा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और असम जैसे राज्यों में निर्यात जाता है। राज्य सरकार द्वारा अंतरराज्यीय निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद आलू से लदे ट्रक राज्य की सीमाओं पर खड़े हैं। इधर बंगाल से आलू के निर्यात पर रोक लगने से अन्य राज्यों में इस जरूरी सब्जी की लिल्लत खड़ी हो गई है। बाजार में आलू कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस बाबत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीमा खोलने के लिए पत्र लिखा है। प्रगतिशील आलू व्यवसाई समिती ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि अन्य राज्यों में आलू बेचने की अनुमति दी जाए। इस सप्ताह तीन दिनों की हड़ताल के बाद कोल्ड स्टोरेज से आलू निकलना शुरू हो गया है। फिलहाल कोलकाता और जिले के बाजारों में आलू की आपूर्ति सामान्य है। बाजारों में आलू की कीमत 30- 35 रुपए प्रति किलो है। हालाँकि, जिन किसानों ने कोल्ड स्टोरेज में आलू रखा है, उनका कहना है कि व्यापारी आलू खरीदने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि वे आलू का व्यवसाय राज्यों के बाहर नहीं कर पा रहे।
हर महीने 2 लाख मीट्रीक टन होता है निर्यात
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष शुभोजीत साहा ने कहा, कोल्ड स्टोरेज में 62 लाख मीट्रिक टन आलू का भंडारण किया जाता है। अब तक लगभग 40 लाख मीट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरेज में ही पड़े हुए हैं। राज्य में हर महीने करीब पांच लाख मीट्रिक टन आलू की खपत होती है। जबकि, दो लाख मीट्रिक टन आलू अन्य राज्यों में भेजे जाते है। आलू बाहर नहीं भेजे जाने की कारण कोल्ड स्टोरेज में आलू सड़ रहे हैं। सरकार को इस विषय पर ध्यान देने जरूरत है। पश्चिम बंगाल आलू के उत्पादन में भारत में दूसरे स्थान पर आता है। बंगाल के आलू की देश में बारी मांग रहती है। सरकार को उस बाजार के बारे में भी सोचने की जरूरत है ताकि दूसरे राज्य के व्यापारी बाजार पर कब्जा न कर लें।