स्टूडेंट्स की सुरक्षा : पूल कार व बसों के लिए ऐप लायेगा परिवहन विभाग

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : स्कूल बसों व पूल कार में स्टूडेंट्स की आवाजाही को लेकर अभिभावकों को अब बेवजह चिंता नहीं करनी होगी। अब परिवहन विभाग द्वारा इसके लिए पहल की जा रही है। सब ठीक रहा तो जल्द ही स्कूल बसों व पूल कारों पर नियंत्रण के लिए परिवहन विभाग द्वारा ऐप लाया जा सकता है। राज्य के परिवहन मंत्री स्नेहाशिष चक्रवर्ती ने इस ओर इशारा किया है। स्कूल प्रबंधन के साथ समन्वय कर इस ऐप का इस्तेमाल करने पर अभिभावक आसानी से अपने बच्चों के स्कूल बसों व पूल कारों के लोकेशन के बारे में जान पायेंगे। इसके अलावा स्कूल से घर और घर से स्कूल जाने के दौरान बच्चों की सुरक्षा का भी अभिभावकों को पता चलता रहेगा। सरकारी के साथ – साथ निजी स्कूलों में भी यह सुविधा मिलेगी।
अभिभावकों को करना होगा ऐप इंस्टॉल
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह ऐप वीएलटीडी (ह्वीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस) से ही जुड़ा हुआ है। पहले स्कूल बसों व पूल कारों में वीएलटीडी लगाये जायेंगे जिसके बाद अभिभावकों को गुगल प्ले स्टोर से ऐप अपने फोन पर इंस्टॉल करना होगा। इसके बाद ही अभिभावकों को अपने बच्चों के स्कूल बसों अथवा पूल कारों के लोकेशन की जानकारी मिल सकेगी। उक्त अधिकारी ने बताया कि फिलहाल ऐप को कस्टमाइज किया जा रहा है। पूरी तरह चालू करने में 2 से 3 महीने का समय लग जायेगा।
हर 2 मीटर के अंतर पर होगा पैनिक बटन
स्कूल बसों में हर 2 मीटर के अंतर पर पैनिक बटन रहेगा जिसे काेई गड़बड़ी महसूस होने पर स्टूडेंट्स प्रेस कर सकेंगे। इसके अलावा ड्राइवर की सीट पर भी पैनिक बटन रहेगा। एक स्कूल बस में 8 से 9 पैनिक बटन लगाये जायेंगे।
क्या कहा पूल कार संगठन ने
पूल कार ओनर्स वेेलफेयर एसोसिएशन के सेक्रेटरी सुदीप दत्ता ने इस बारे में कहा, ‘वर्ष 2017 से ही हमारी पूल कारों में यह सिस्टम है। जीपीएस ट्रैकिंग के द्वारा अभिभावक पूल कार के लोकेशन के बारे में जान सकते हैं। हालांकि पैनिक बटन नहीं था जो नया है। अब जीपीएस ट्रैकिंग हटाकर वीएलटीडी फिट करना होगा जो एक तरह से अतिरिक्त वित्तीय भार है। हालांकि संगठन के सेक्रेटरी के तौर पर इस कदम का स्वागत करता हूं। पश्चिम बंगाल देश का 5वां राज्य है जिसने यह लागू किया है।’
क्या कहा अ​भिभावक ने
पूल कार से बच्चे को स्कूल भेजने वाले अभिभावक अतनु ठाकुर ने कहा कि यह सबके लिए सुविधाजनक होगा। हमेशा यह चिंता सताती है कि बच्चे कहां हैं, कैसे हैं। सभी बच्चों के पास फोन भी नहीं रहता है। इसके अलावा कुछ गड़बड़ी होने पर भी नजर रखी जा सकती है। स्कूल प्रबंधन भी नजर रख सकेंगे और अभिभावकों को भी हमेशा चिंता नहीं सतायेगी। यह स्वागत योग्य कदम है।

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