‘नॉनवेज न खाने पर भी पीटता था आफताब’

नई दिल्ली : श्रद्धा वॉलकर हत्याकांड की जितनी परतें खुलती जा रही हैं उतने ही नए सवाल भी खड़े हो रहे हैं। अब तक के अपडेट से समझ आता है कि आफताब के साथ श्रद्धा के रिश्ते बहुत खराब थे और वह प्यार के नाम पर बहुत कुछ झेल रही थी। लेकिन इसके बावजूद वह अफताब का साथ क्यों नहीं छोड़ रही थी? दिल्ली आने से पहले मुंबई में रहते हुए श्रद्धा की मददगार रहीं पूनम बिड़लान ने आफताब और श्रद्धा के रिश्तों के बारे में बहुत कुछ बताया है।
 ‘3 बार मदद मागंने आई थी श्रद्धा’
पूनम बिड़लान मुंबई के वसई से सटे नालासोपारा इलाके में ही रहती हैं। पूनम ने बताया कि जब श्रद्धा और आफताब एवर शाइन इलाके में रहने के लिए आये उस दौरान श्रद्धा 3 बार उनके पास मदद मागंने के लिए आई थी। एक बार तो पुनम श्रद्धा को साथ लेकर तुलिंज पुलिस थाने भी पहुंची और शिकायत दर्ज करायी। अगले दिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए FIR दर्ज करने की तैयारी थी। श्रद्धा भी तैयार हो गयी थी। लेकिन पूनम बताती हैं कि जब भी आफताब श्रद्धा की पिटाई करता तो वो खुद उस रात घर नहीं आता था, बल्कि अपने मां बाप के पास चला जाता था। मां- बाप फिर श्रद्धा को कन्विंस करने में लग जाते थे और श्रद्धा आफताब के मां-बाप की बातों का शिकार हो जाती।
‘नॉन वेज खाने से मना करती तो पीटता था आफताब’
पूनम ने आगे बताया कि एक बार जब श्रद्धा उनके पास आई थी तो उसके माथे पर, गाल पर, गर्दन पर, काले स्याह निशान थे। यही नहीं गले पर ऐसे निशान थे कि जैसे किसी ने उसका गला दबाया हो। जब उन्होंने श्रद्धा से इसके बारे में पूछा तो श्रद्धा ने बताया की आफताब ने उसे बुरी तरह पीटा और उसका गला दबाकर मारना चाहा इसलिए वो भाग आयी। अगर वह नहीं भागती तो वो उसकी जान ही ले लेता। उस दिन की मारपीट की वजह उससे ज्यादा हैरान करने वाली थी। आफताब ने उसकी इसलिए पिटाई की थी क्योंकि उसने नॉन वेज खाने से मना कर दिया था। इस बात पर आफताब को गुस्सा आ गया। आफताब जबरन उसे नॉन वेज खाने के लिए मजबूर करता था। जब वह नहीं खाती तो वह उसे पीटता था।
‘इतना पीटता है, उसके साथ कैसे रहोगी?’
पूनम ने श्रद्धा की काउंसलिंग की और उसे समझाया कि आफताब का चरित्र उसके बिल्कुल विपरीत है। वो दूसरे धर्म से भी जुड़ा है। उसके मां बाप भी खिलाफ हैं, बिना किसी वजह के या कोई वजह बनाकर वह उसे इतना पीटता है। वह उसके साथ कैसे रहेगी?
‘मां बाप ने दे रखा था आफताब को संरक्षण’
पूनम ने बताया कि समझाने पर उस वक्त तो श्रद्धा कुछ देर के लिए मान जाती थी लेकिन फिर आफताब के मां बाप श्रद्धा के पास आते, उसे बेटे की गलती भूल जाने, उसे माफ करने की रिक्वेस्ट करते थे। वह लोग इस तरह की इमोशनल बात करते कि वो पिघल जाती। अगर उस वक्त श्रद्धा उसके मां बाप की बातों में नहीं आती तो आज जिंदा होती। आफताब के मां बाप के रवैये को पूनम पूरी तरह से दोषी मानती हैं। उन लोगों ने आफताब को एक तरह से संरक्षण दे रखा था।

 

 

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