आखिर क्यों हनुमान जी की आराधना करने से प्रसन्न होते हैं शनिदेव?

कोलकाता: शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। यह एक ऐसे देवता हैं जो कर्मों के अनुसार फल देते हैं। ये सूर्य छाया पुत्र हैं। इनकी शुभ दृष्टि जहां आपको रंक से राजा बना सकती है तो वहीं इनकी वक्र दृष्टि के कारण मनुष्य को कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। इनकी वक्र दृष्टि से मनुष्य तो क्या देवता भी भयभीत हो जाते हैं। बुरे कर्म करने वालो को शनिदेव हमेशा दंडित करते हैं। तो वहीं अच्छे कर्म करने वाले लोगों पर शनिदेव अपनी कृपा करते हैं। शनिवार को शनिदेव का दिन माना गया है, लेकिन मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करने वालों को भी शनिदेव के प्रभावों से मुक्ति मिलती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। जानते हैं…

जब माता सीता के हरण के बाद हनुमान जी उनकी खोज करते हुए लंका गए, तब उन्होंने वहां पर कारागृह में शनिदेव को बंदी बना हुआ देखा। जब अंजनी पुत्र ने इसका कारण पूछा तब शनिदेव ने उन्हें बताया कि रावण ने अपनी योग के बल पर उनके साथ कई ग्रहों बंदी बनाया लिया है। जिसके बाद हनुमान जी ने वहां से शनिदेव को मुक्त करवाया। इससे प्रसन्न होकर शनिदेव ने हनुमान जी से कोई वरदान मांगने को कहा।
तब पवनपुत्र ने शनिदेव से वचन लिया कि जो मनुष्य मेरी आराधना करेगा। उस पर आपका अशुभ फल का प्रभाव नहीं पड़ेगा। कहते है कि तभी से हनुमान भक्तों पर शनिदेव की वक्र दृष्टि का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। शनिदेव की वक्र दृष्टि के कारण ही लंका दहन के बाद सोने की होने के बावजूद भी लंका काली पड़ गई थी।  इसलिए जो भक्त सच्चे हृदय से हनुमान जी की आराधना और चालीसा का पाठ करता है। उसे शनि साढ़े साती और ढैय्या के  कारण होने वाली समस्याओं के प्रभाव से राहत मिलती है।

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