कोलकाताः भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कल्कि द्वादशी मनाई जाती है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, धर्म की पुनर्स्थापना और पापियों का नाश करने के लिए भगवान विष्णु कलियुग में कल्कि के अवतार में जन्म लेंगे। यह भगवान विष्णु का 10वां और आखिरी अवतार होगा। श्री हरि का कल्कि अवतार बहुत आक्रामक है, जिसमें विष्णु जी सफेद घोड़े पर सवार होकर हाथ में तलवार लिए पापियों का नाश करने उतरेंगे। इस साल कल्कि द्वादशी बुधवार, 07 सितंबर को मनाई जाएगी।
कल्कि द्वादशी पर मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कल्कि द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन की हर मुश्किल, हर संकट दूर हो सकता है। कल्कि द्वादशी पर भगवान विष्णु के भक्त उनकी प्रिय चीजें उन्हें अर्पित करते हैं। इस दिन विष्णुजी के मंत्र और विष्णु चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
कल्कि द्वादशी के दिन सवेरे-सवेरे स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें। साफ-सुथरे और हल्के रंग के कपड़े पहनें। अगर आपके पास कल्कि अवतार की प्रतिमा न हो तो भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें और उसका जलाभिषेक करें। इसके बाद कुमकुम से श्रीहरि का तिलक करें और उन्हें अक्षत अर्पित करें। ध्यान रहे कि भगवान विष्णु को भूलकर भी टूटे हुए चावल ना चढ़ाएं।
तिलक और अक्षत अर्पित करने के बाद भगवान को फल-फूल, अबीर, गुलाल आदि चढ़ाएं। भगवान के समक्ष तेल या घी का दीपक प्रज्वलित करें। भगवान कल्कि की पूजा करने के बाद उनकी आरती उतारें।
श्री हरि के अवतार को चढ़ाए गए फल और मिठाई को प्रसाद के रूप में वितरित करें। पूजा के बाद भगवान से अपने जीवन में चल रही परेशानियों को खत्म करने की प्रार्थना करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। कल्कि द्वादशी के दिन दान-पुण्य के कार्य करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस दिन आप गरीबों या जरूरतमंदों को अपनी क्षमता के अनुसार खाने या इस्तेमाल करने की चीजें में दान में दे सकते हैं।