संविधान में ‘सेक्युलर और सोशलिस्ट’ शब्द पर सियासत हाई, कांग्रेस का केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप | Sanmarg

संविधान में ‘सेक्युलर और सोशलिस्ट’ शब्द पर सियासत हाई, कांग्रेस का केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप

नई दिल्ली: नए संसद भवन में कार्यवाही के दौरान ‘सेक्युलर और सोशलिस्ट’ जैसे शब्द को लेकर सियासी वार पलटवार जारी है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और TMC सांसद डोला सेन ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संविधान की जो कॉपी सांसदों को दी गई उसमें सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द गायब है।

‘संविधान की प्रति से सेक्युलर-सोशलिस्ट शब्द गायब’

अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया था कि भारतीय संविधान की प्रति से सेक्युलर-सोशलिस्ट शब्द गायब हैं और इसे लेकर उन्हें चिंता है। उन्होंने इसे उठाने की भी कोशिश की थी, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। उनके आरोप के मुताबिक जब कल वह संविधान (संविधान की नई प्रतियां) पढ़ रहे थे, उन्हें धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी दो शब्द नहीं मिले थे। उन्होंने कहा कि तब उन्होंने खुद अपने आप से जोड़ दिया था।

इसके बाद उन्होंने इसे राहुल गांधी को भी दिखाया। उन्होंने कहा कि यह हमारे संविधान को बदलने की जानबूझकर की गई कोशिश को दर्शाता है और यह चिंता में डालने वाला है।

संविधान की असली कॉपी सांसदों को दी गई- BJP

इस मामले पर अधीर रंजन चौधरी के बाद बीजेपी के तरफ से भी जवाब सामने आया। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि संविधान की जो असली कॉपी है वो दी गई है और इस पर कल जवाब भी दिया जा चुका है। इसके अलावा बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने इसपर कहा कि ऐसा नहीं कहा गया था कि यह संशोधित प्रति है। जब संविधान स्वीकार किया गया तो यह मूल प्रति थी। इसमें ‘समाजवादी धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं था।

साल 1976 में संविधान में जोड़े गए ये शब्द

बता दें कि 26 जनवरी साल 1950 को औपचारिक रूप से नया संविधान लागू होने के बाद से समय और आवश्यकतानुसार इसमें लगातार संशोधन हुए हैं। साल 1976 में संविधान में 42वां संशोधन किया गया। उस समय इंदिरा गांधी की सरकार थी और तीन नए शब्द “समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता” संविधान में जोड़े गए।

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