‘लापता लेडीज’ रिव्यू: बेहतरीन कहानी और कलाकारों का शानदार मेल … | Sanmarg

‘लापता लेडीज’ रिव्यू: बेहतरीन कहानी और कलाकारों का शानदार मेल …

मुंबई : बॉलीवुड में हर साल कई फिल्में रिलीज होती हैं, लेकिन इनमें से कुछ की कहानी ही लोगों के दिलों में उतरती है। अब आमिर खान और किरण राव फिल्म ‘लापता लेडीज’ लेकर आए हैं, जो 1 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है।  2010 में फिल्म ‘धोबी घाट’ से निर्देशन क्षेत्र में कदम रखने वाली किरण ने 14 साल बाद फिर निर्देशक की कुर्सी संभाली है। आइए जानते हैं कैसी है उनकी यह फिल्म।
ये कहानी 2 शादीशुदा जोड़ों की है, जो खचाखच भरी ट्रेन में चढ़ते हैं। इसमें 2 नई नवेली दुल्हन आसपास बैठी हैं। उनकी लाल साड़ी से लेकर ओढ़नी, घूंघट सब एक जैसा है, जिसके चलते दीपक (स्पर्श श्रीवास्तव) से बड़ी चूक हो जाती है। वह रात के अंधेरे में अपनी पत्नी फूल (नितांशी गोयल) की जगह पुष्पा/जया (प्रतिभा रांटा) को घर ले आता है। इसके बाद शुरू होती है घूंघट की आड़ में बदली फूल को ढूंढने की दास्तां।
फिल्म शुरुआत से अपनी गति बनाए रखती है। यह महिलाओं को घूंघट से होने वाली परेशानी के साथ ही उनके आत्मनिर्भर बनने और शिक्षा के महत्व जैसे मुद्दों को उठाती है। ‘फूल’ को स्टेशन पर कलाकंद बनाकर आत्मनिर्भर बनने का अहसास दिलाती है। ‘पुष्पा’ से घूंघट ओढ़े पति की पहचान जूतों से करनी की बात हो या उसके पढ़ाई छोड़ शादी करने के लिए मां की आत्महत्या करने की चेतावनी, फिल्म कई महत्वपूर्ण बातों को संजीदगी से कह जाती है। नितांशी और प्रतिभा ने उम्दा प्रदर्शन से बांधा समायूं तो फिल्म में नजर आए सभी सितारे उम्दा हैं, लेकिन फूल के किरदार में नितांशी की मासूमियत देखने लायक है। उनका प्रदर्शन काफी प्रभावशाली है। वह जब भी पर्दे पर दिखती हैं, अपने नाम ‘फूल’ की तरह ही महक छोड़ जाती हैं। पुष्पा बनीं प्रतिभा ने भी अपने किरदार में जान डाल दी है। उनका लाजवाब प्रदर्शन उनसे नजरें हटाने का मौका नहीं देता, वहीं वह पुष्पा के सपनों को उड़ान देने की चाहत को बखूबी दर्शाती हैं।

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