नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ महापर्व छठ, आज खरना

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : आस्था व विश्वास का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया। छठ पूजा का प्रचलन पश्चिम बंगाल में भी इस कदर बढ़ गया है कि राज्य सरकार ने छठ पूजा के लिए 2 दिनों की छुट्टी की घोषणा की है। शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ छठ पूूजा की शुरुआत हुई। इस दिन लौकी-भात खाने की परंपरा है। आज यानी शनिवार को खरना के साथ ही 36 घण्टों का कठिन व्रत चालू हो जायेगा। कल यानी रविवार को पहला अर्घ्य व सोमवार को दूसरे अर्घ्य के साथ छठ पूजा संपन्न होगी।
नहाय खाय से शुरू हाेती है छठ पूजा
छठ पूजा में पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष एक समय का भोजन करके अपने मन को शुद्ध करते हैं। इस दिन से घर में शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है, और लहसुन-प्याज बनाने की मनाही हो जाती है। नहाय-खाय वाले दिन व्रती महिलाएं लौकी की सब्जी, चने की दाल, चावल और मूली खाती हैं।
खरना के दिन यह है परंपरा
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन छठव्रती पूरे दिन का उपवास रखते हैं। खरना के दिन शाम होने पर गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर छठव्रती पूजा करने के बाद अपने दिन भर का उपवास खोलते हैं। फिर इस प्रसाद को सभी में बांट दिया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
बाजारों में होने लगी छठ सामग्रियों की​ बिक्री
छठ पूजा के लिए बाजारों में छठ सामग्रियों की बिक्री भी होने लगी है। कोलकाता के विभिन्न बाजार छठ पूजन की सामग्रियों जैसे कि नारियल, घवद, सूप, गन्ने, विभिन्न प्रकार के फल आदि से सज गये हैं। बाजारों में छठ पूजा की रौनक देखते ही बन रही है। अब पूजन सामग्री लेने के लिए बाजारों में लोगों की भीड़ होने लगी है।
घाटों पर तैयारी पूरी, विसर्जन होते ही हुई सफाई
छठ घाटों पर साफ-सफाई का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। काली पूजा के बाद अधिकतर प्रतिमाओं का विसर्जन हो गया है और विसर्जन होते ही छठ घाटों की सफाई का काम भी पूरा कर लिया गया है। अब छठ घाटों के आस-पास सड़कों की सफाई व लाइटिंग के साथ उन्हें सजाने का काम किया जायेगा। केएमसी व केएमडीए की ओर से इस बार भी कई कृत्रिम घाट बनवाये गये हैं।
कल डूबते सूरज को दिया जायेगा अर्घ्य
कल यानी रविवार को डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जायेगा। इस दिन ही छठव्रती छठ घाटों पर जाते हैं और डूबते सूरज की पूजा करते हैं। सूप में छठ पूजन की सामग्रियों को ले जाया जाता है और उनसे ही सूर्योपासना की जाती है। अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के बाद व्रती अपना व्रत खोलते हैं।

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