भारत में 56% बीमारी का कारण खराब खान-पान, ICMR ने किया सावधान

नई दिल्ली: भारत में होने वाले बीमारियों के पीछे  56.4 फीसदी बोझ अनहेल्दी डाइट की वजह से है। ICMR ने बुधवार(08 मई) को कहा कि जरूरी पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने, मोटापा और मधुमेह जैसे रोगों (NCDs) को रोकने के लिए 17 आहार दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। हेल्थ रिसर्च बॉडी के तहत राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) ने कहा कि स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि कोरोनरी हृदय रोग (CHD) और हाइपरटेंशन (HTN) के पर्याप्त अनुपात को कम कर सकती है और टाइप 2 मधुमेह को 80 फीसदी तक रोक सकती है।

इसमें कहा गया है कि हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करने से पहले होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। सुगर और फैट से भरे खाने वाली चीजों की खपत में बढ़ोतरी, कम शारीरिक गतिविधि, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और अधिक वजन की समस्या और तमाम तरह के खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच के कारण स्थिति और खराब हो गई है।

मोटापे पर सुझाव

NIN ने नमक का सेवन सीमित करने, ऑयल और फैट का कम मात्रा में उपयोग करने, प्रॉपर एक्सरसाइज करने, चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने की चीजों को कम करने की गुजारिश की है। इसने मोटापे को रोकने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइट अपनाने और फूड लेबल्स पढ़कर जानकारी हासिल करने और स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने का भी सुझाव दिया।

भारतीयों के लिए आहार संबंधी दिशानिर्देश (DGIs) का मसौदा ICMR-NIN के निदेशक डॉ. हेमलता आर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक कमेटी द्वारा तैयार किया गया है और इसकी कई वैज्ञानिक समीक्षा की गई है। DGI में सत्रह दिशानिर्देश सूचीबद्ध किए गए हैं।

‘लोगों की डाइट में बदलाव…’

डॉ. हेमलता ने कहा कि DGI के जरिए हम इस बात पर जोर देते हैं कि सभी तरह के कुपोषण का सबसे तार्किक, टिकाऊ और दीर्घकालिक समाधान तमाम खाद्य पदार्थों की खपत को बढ़ावा देते हुए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करना है। दिशानिर्देशों में वैज्ञानिक बातें शामिल हैं, साक्ष्य-आधारित जानकारी जो राष्ट्रीय पोषण नीति में बताए गए लक्ष्यों की प्राप्ति को सुविधाजनक बनाएगी।

ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारतीयों की आहार संबंधी आदतों में अहम बदलाव आए हैं, जिससे गैर-संचारी रोगों में बढ़ोतरी देखी गई है। जबकि अल्पपोषण की कुछ समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं।

उन्होंने आगे कहा, “मुझे खुशी है कि इन दिशानिर्देशों को भारत में बदलते खाद्य नजरिए के लिए बहुत प्रासंगिक बना दिया गया है, जिसमें खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिए न्यूनतम प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ चुनने, फूड लेबल्स की अहमियत को समझने और फिजिकल एक्टिविटी पर व्यावहारिक संदेश और सुझाव शामिल हैं। मुझे यकीन है कि ये पूरक होंगे. सरकार की ये कोशिशें हमारे लोगों के अच्छे पोषण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए हैं।

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‘अनाज पर ज्यादा निर्भर हैं भारतीय…’

गैर-संक्रमणकारी रोगों का जिक्र करते हुए NIN ने कहा कि 5-9 साल की उम्र के 34 फीसदी बच्चे हाई ट्राइग्लिसराइड्स से पीड़ित हैं। एक संतुलित आहार में अनाज और बाजरा से 45 फीसदी से ज्यादा कैलोरी और दालों, बीन्स और मांस से 15 फीसदी तक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि बाकी कैलोरी नट्स, सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए।

NIN ने कहा कि दालों और मांस की सीमित उपलब्धता और उच्च लागत की वजह से, भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनाज पर बहुत ज्यादा निर्भर है। इस वजह से जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (अमीनो एसिड और फैटी एसिड) और सूक्ष्म पोषक तत्वों का कम सेवन होता है।

इसमें कहा गया है कि जरूरी पोषक तत्वों का कम सेवन उपापचय (Metabolism) को बाधित कर सकता है और कम उम्र से ही इंसुलिन प्रतिरोध और संबंधित डिसऑर्डर्स का खतरा बढ़ा सकता है।

 

 

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