Tunnel Rescue: ऑगर मशीन में आई अड़चनें, अब वर्टिकल तकनीक से निकाले जाएंगे सभी मजदूर | Sanmarg

Tunnel Rescue: ऑगर मशीन में आई अड़चनें, अब वर्टिकल तकनीक से निकाले जाएंगे सभी मजदूर

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में मजदूरों को निकालने की कोशिशें लगातार जारी है। टनल में ऑगर मशीन के ब्लेड फंस चुके थे। अब क्षतिग्रस्त ब्लेडों को  बाहर निकाल लिया गया है। ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करते वक्त सरिया के जाल फंस गई थी जिससे ऑपरेशन में बहुत मुश्किलें आ रही थी। इसकी वजह से 10 मीटर की ड्रिलिंग में चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। 13 दिन से टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान बार-बार आ रही बाधाओं के कारण एक्सपर्ट हाथ से ड्रिलिंग के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने शनिवार को कहा कि श्रमिकों को बचाने के लिए जिस ऑगर मशीन से ड्रिल की जा रही थी, वह खराब हो गई है। उन्होंने सिलक्यारा में पत्रकारों से कहा कि ऑगर टूट गई है, क्षतिग्रस्त हो गई है। पिछले कुछ दिन से ऑगर मशीन से ड्रिल करने के दौरान लगातार बाधाएं आ रही थीं। जब उनसे हाथ से अथवा लम्बवत ड्रिल करने जैसे अन्य विकल्पों के बारे में पूछा गया तो डिक्स ने कहा कि सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

बार-बार रोकना पड़ रहा है रेस्क्यू ऑपरेशन
सिलक्यारा सुरंग से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ढहे हिस्से में की जा रही ड्रिलिंग शुक्रवार रात फिर से रोकनी पड़ी, जो बचाव प्रयासों के लिए झटका है। शुक्रवार को कुछ देर की ड्रिलिंग से पहले 800 मिलीमीटर चौड़े इस्पात के पाइप का 46.8 मीटर हिस्सा ड्रिल किए गए मार्ग में धकेल दिया गया था। सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है। श्रमिकों तक भोजन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए छह इंच चौथे ट्यूब को 57 मीटर तक पहुंचा दिया गया है।

वर्टिकल तकनीक अपनाई जाएगी

पिछ्ले तीन दिन से कहीं ना कहीं होरीजेंटल तरीके से ही ड्रिलिंग का काम हो रहा था। लेकिन इस तकनीक से रेस्क्यू अभियान में सफलता की उम्मीद कम होती जा रही है। इसको देखते हुए अब वर्टिकल तरीके से रेस्क्यू करने के लिए मशीनें भी ऊपर भेजी जा रही हैं। आठ-दस मीटर की ड्रिलिंग और बाकी है। जिसे जल्द पूरा करने की उम्मीद जताई जा रही है।
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