Solar Eclipse 2024: 8 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानिए भारत में दिखेगा या नहीं | Sanmarg

Solar Eclipse 2024: 8 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानिए भारत में दिखेगा या नहीं

न्यूयॉर्क : 8 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। इस खास खगोलीय घटना को देखने के लिए लोगों में काफी उत्सुकता है। इस दौरान उत्तरी अमेरिका के कई देशों में कुछ वक्त के लिए अंधेरा भी छाएगा। हालांकि, 8 अप्रैल को सिर्फ पूर्व सूर्य ग्रहण ही नहीं, बल्कि कई अन्य असामान्य खगोलीय घटनाओं को देखा जा सकता है। इनमें पृथ्वी के वायुमंडल पर चंद्रमा की छाया की उपस्थिति और दिन के दौरान अंधेरा भी शामिल है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि ग्रहण की शुरुआत के कुछ समय पहले एक विशिष्ट छाया दिखाई देनी चाहिए, जो आने वाली घटना की नकल होगी। इसकी शुरुआत पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम आकाश से होगी। जैसे ही अंधेरा छाएगा, दिन में आसमान में तारे, ग्रह और संभवत: अन्य चमकीली वस्तुएं देखने का मौका मिलेगा।
8 अप्रैल को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। यह सूर्य ग्रहण काफी देर तक चलेगा और माना जा रहा है कि इतने लंबे समय तक चलने वाला सूर्य ग्रहण करीब 50 साल बाद फिर से लगेगा। इस सूर्य ग्रणण की कुल अवधि करीब 5 घंटे 25 मिनट की होगी। सूर्य ग्रहण के दौरान काफी देर तक धरती के जिन-जिन इलाकों में दिखेगा वहां अंधेरा छा जाएगा। भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा। इस सूर्य ग्रहण के नजारे को भारत में नहीं देखा जा सकेगा क्योंकि यह सूर्य ग्रहण रात को लगेगा।

आसमान में दिखेगी सतरंगी रोशनी
अक्सर पूछा जाता है कि ग्रहण के समय क्या दिखेगा? इसका उत्तर है “आपको स्वयं इसे देखना होगा और फिर आप समझ जाएंगे।” एक विज्ञानी ने कहा कि पूरे ग्रहण को देखने वालों के लिए चंद्रमा की छाया के ऊपर की ओर एक धुंधला नीला रंग दिखाई देगा। इसके किनारे के बाहर से प्रकाश क्षितिज के चारों ओर एक उज्ज्वल सीमा बनाता है। ग्रहण की छाया के बाहर हवा का केसरिया रंग विशेष रूप से प्रभावशाली हो सकता है। चूंकि हवा छोटी तरंग दैर्ध्य की तुलना में लंबी तरंग दैर्ध्य के प्रकाश को बिखेरती है, ऐसे में छाया के बाहर से प्रकाश पीला या लाल हो जाता है। हालांकि यह रंग छाया के किनारे से उसे देखने वाले व्यक्ति की दूरी पर निर्भर करता है।
शुक्र दिखेगा सबसे चमकीला
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान आकाश में चांदनी रात जितना अंधेरा नहीं दिखता है। बल्कि, यह लगभग उतना ही अंधेरा हो जाता है जितना सूर्योदय से लगभग 20 से 40 मिनट पहले या सूर्यास्त के 20 से 40 मिनट बाद होता है। ऐसे आकाश में, शुक्र आमतौर पर बहुत साफ दिखाई देता है। इसके अलावा सूर्य के निकट अन्य चमकीले तासे भी दिखाई देते हैं। ग्रहण के समय शुक्र सबसे चमकीला दिखाई देगा। ग्रहण के दिन शुक्र, सूर्य से लगभग 15 डिग्री पश्चिम (निचले दाएं) पर स्थित होगा। हाथ की लंबाई पर पकड़ी गई आपकी बंद मुट्ठी का माप लगभग 10 डिग्री है, इसलिए शुक्र सूर्य से लगभग “डेढ़ मुट्ठी” की दूरी पर स्थित होगा।

 

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