वास्तव में जब छोटे जीव ऊंचाई से गिरते अथवा कूदते हैं तो वायु के माध्यम से अत्यन्त ही धीमी गति से नीचे आते हैं। कारण है प्रतिरोधता एवं गुरुत्वाकर्षण। इसी कारण बिल्लियां ऊंचाई से गिरने से कोई घातक चोट वहन नहीं करती।
हम जानते हैं कि वस्तुएं जितनी भारी और विशाल होती हैं, धरती के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा उतनी ही तीव्रता से नीचे की ओर खींची जाती हैं। इसके अलावा जब वस्तुओं की ऊंचाई में ह्रास होता है, गिरने की गति तीव्रतम होती जाती है लेकिन इसी के साथ वायु की प्रतिरोधता भी अनुपातिक क्रम में बढ़ने लगती है।
सामान्यत: शरीर का सतही आकार जितना फैला हुआ होता है, उतनी ही वायु प्रतिरोधी क्षमता होती है, जैसे जब एक मकड़ी भी ऊंचाई से गिरती है तो बिना किसी शारीरिक क्षति के कुशलतापूर्वक नीचे उतर आती है परन्तु एक साधारण मनुष्य अधिक भारी होता है। मकड़ी के सतही आकार के अनुपात में उसका केवल 7500 वां भाग ही होता है। इस कारण मनुष्य को लगने वाली चोट कहीं घातक और प्रभावशाली होती है।
इसी प्रकार बिल्ली सतही आकार के मामले में मनुष्य की अपेक्षा मकड़ी के समकक्ष अधिक होती है। फलस्वरूप उसमें वायु प्रतिरोध क्षमता उसे किसी ऊंचाई से गिरने-कूदने पर भी किसी शारीरिक क्षति से बचा लेती है अत: बिल्लियां ऊंचाई से नहीं डरती। शेखर मलिक(उर्वशी)
बिल्लियां ऊंचाई से क्यों नहीं डरतीं
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