महाशिवरात्रि पर काशी में एक-दूजे का हुआ इटेलियन कपल, शिव को साक्षी मानकर रचाई शादी

वाराणसी: देश भर में शुक्रवार को धूमधाम से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया गया। वैसे तो ये पर्व शिव जी और माता पार्वती की शादी को दर्शाने के लिए मनाया जाता है, लेकिन इसी दिन को चुनकर एक इटली के कपल ने बनारस में शादी रचाई है। दिल के डॉक्टर ने योग टीचर से शादी करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन ही चुना। दोनों ने शिव-पार्वती के सामने बैठ कर हिन्दू रीति रिवाज के साथ शादी रचाई जो चर्चा में बनी हुई है।

शादी के लिए चुना महाशिवरात्रि का दिन

बता दें कि इटली के पाउले कार्डियोलॉजी के डॉक्टर हैं, जिन्होंने इटली की ही योग टीचर ग्राजिया के साथ शादी रचाई। दोनों ने अपनी शादी के लिए काशी को चुना। एक तरफ जहां शादी के लिए महाशिवरात्रि का दिन चुना गया तो वहीं दूसरी तरफ काशी के नगरी में ये शादी संपन्न कराई गई। वहीं ग्राजिया के गुरु भाई विजय ने उन्हें मंत्रों का अर्थ भी समझाया। वहीं शादी के दौरान ब्राह्मण के रूप में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत धन्नी गुरु के अलावा रोजाना बाबा विश्वनाथ की आरती कराने वाली संस्था नाट्यकोट क्षेत्रम के लोग भी उन्हें आशीर्वाद देने आए।

एक-दूसरे को 10 साल से जानते हैं

दरअसल, पाउले और ग्राजिया बीते 10 सालों से एक-दूसरे के साथ रह रहे हैं, लेकिन दोनों ने हिन्दू रीति रिवाज और आस्था को देखने के बाद काशी में शादी रचाने की इच्छा जाहिर की। दोनों ने बताया कि हमें महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती को साक्षी मानकर शादी करनी करनी है। वहीं बनारस के स्थानीय परिवार ने इस इटैलियन जोड़े की शादी की परंपरा का निर्वहन किया। बनारस की रहने वाली पद्मा देवी ने ग्राजिया को अपनी बेटी मानकर पाउले के सामने कन्यादान की रस्म अदा की। वहीं पिता भी भूमिका में विजय कुमार दिखाई दिए। यही नहीं फेरो के समय अक्षत ने ग्राजिया का भाई बन कर लावा परछाई की रस्म को पूरा किया। पाउले के पिता के रूप में रमेश कुमार इस शादी में शरीक हुए।

भारतीय परम्पराओं से है लगाव

ग्राजिया के गुरु भाई विजय बाजपेयी ने बताया कि ग्राजिया का सनातन धर्म और काशी में शादी की इच्छा यूं ही नहीं जगी, ग्राजिया लाहिड़ महाशय की शिष्य परंपरा से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने शिवेंदु लहरी से दीक्षा ली थी। हालांकि ग्राजिया शादी से पहले कभी काशी नहीं आई थीं, लेकिन दीक्षा के बाद से ही ग्राजिया में हिन्दू और सनातन धर्म को लेकर आस्था चरम पर थी। जब भी हमारी बात होती तो वह काशी की महिमा के बारे में बात करती रहती थीं। धर्म की नगरी काशी के प्रति उनका झुकाव भी काफी अधिक था। इसी कारण इन लोगों ने महाशिवरात्रि पर शादी करने का फैसला लिया।

 

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