यहां दहेज में सोने-पैसे नहीं बल्कि दिए जाते हैं जहरीले सांप, अनोखी है परंपरा | Sanmarg

यहां दहेज में सोने-पैसे नहीं बल्कि दिए जाते हैं जहरीले सांप, अनोखी है परंपरा

देश में कई जगह लोग शादियां हाई-प्रोफाइल होती है। लोग शादियों में लाखों-करोड़ों खर्च करते हैं। फिर बेटी की विदाई के समय भी महंगी-महंगी ज्वैलरी के साथ तरह तरह की चीजें देते हैं। इसी देश में एक जगह ऐसा भी है जहां दहेज में महंगी गाड़ियां, गहनें नहीं सांप दिए जाते हैं।

कोलकाता: शादी के बाद आम तौर पर अधिकांश लोग अपनी बेटियों को विदाई के समय कई तरह के सामान देते हैं। कई लोग कार और घर तक भी दे देते हैं ताकि बेटी और दामाद अपने भविष्य की शुरुआत नए तरीके से करें। उन्हें भविष्य में कोई असुविधा न हो। वहीं, देश में एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां शादी के बाद बेटियों को विदाई के समय सांप दिया जाता है। यह सच्चाई है और इसके पीछे मान्यताएं है।

सांप दिखाकर करते हैं गुजारा
छत्तीसगढ़ के संवरा जनजाति में शादी के बाद बेटियों को जहरीले सांप देने की प्रथा है। दरअसल, कोरबा से करीब 45 किमी दूर मकुनपुर गांव में संवरा जनजाति के लोग रहते हैं। इनके जीविकोपार्जन का जरिया सांप है। गांव के लोग जहरीले से जहरीले सांपों को आसानी से पकड़ लेते हैं। फिर उससे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी गुजारते हैं।

सांप देने की है पुश्तैनी परंपरा

सांपों को पकड़ने के बाद ये लोग उसे अपने साथ रखते हैं। उसका ध्यान रखते हैं। फिर जगह-जगह जाकर सांप को दिखाकर थोड़े बहुत पैसे जुटाते हैं। इसी से इनका परिवार चलता है। हालांकि संवरा जनजाति की पुश्तैनी परंपरा है कि जब भी इस समाज में विवाह होता है तो दहेज के तौर पर लड़की के परिवार की ओर से जहरीले सांप दिए जाते हैं। इसके पीछे का मकसद है कि सांप दिखाकर यह लोग अपना जीविका चला सकें।

बता दें कि छत्तीसगढ़ में कई जनजाति के लोग रहते हैं। जिनमें संवरा जनजाति भी शामिल है। राज्य सरकार की ओर से उनके विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इनमें अधिकांश लोग झुग्गी-झोपड़ी में रहकर जीवन यापन करते हैं। इस जनजाति के लोग विकास से अभी भी दूर है।

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