लैपटॉप का Import बैन ! | Sanmarg

लैपटॉप का Import बैन !

नई दिल्ली : भारत सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, गुरुवार को सरकार की ओर से एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) की अधिसूचना में कहा गया है कि इन सभी आयातों को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऐसे किसी भी आयात के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होगी अपवाद के रूप में प्रति खेप केवल एक ऐसे उत्पाद के आयात के लिए छूट दी जाएगी। सरकार के इस कदम से एपल, डेल और सैमसंग जैसी कंपनियों को झटका लगेगा और उन्हें भारत में अपना विनिर्माण बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। भारत में मौजूदा नियम कंपनियों को स्वतंत्र रूप से लैपटॉप आयात करने की अनुमति देते हैं, लेकिन नया नियम इन उत्पादों के लिए एक विशेष लाइसेंस को अनिवार्य करेगा जैसा की 2020 में देश में टीवी के शिपमेंट के निर्यात पर लगाया गया था।
हर नए मॉडल के लिए ग्राहकों को करना पड़ सकता है लंबा इंतजार
भारतीय बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि लाइसेंसिंग व्यवस्था का मतलब होगा कि हर नए लैपटॉप और टैबलेट के मॉडल के लिए अब ग्राहकों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। बता दें कि भारत में अगले कुछ महीनों में फेस्टिव सीजन शुरू हो जाएगा जब इन उत्पादों की बिक्री आमतौर पर बढ़ जाती है। ऐसे में आयात पर रोक का असर कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है। कुछ प्रोडक्ट्स महंगे भी हो सकत हैं। डीजीएफटी की ओर से जारी अधिसूचना में हालांकि इस कदम का कोई कारण नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपनी “मेक इन इंडिया” योजना के तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहती है इसलिए आयात पर सख्ती बरती जा रही है। अगर स्थानीय स्तर पर सरकार की मंशा के अनुरूप इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का विनिर्माण शुरू हो जाता है तो देर से ही सही पर कीमतों में नरमी से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
अप्रैल से जून के बीच देश का इलेक्ट्रॉनिक्स आयात 19.7 अरब डॉलर रहा
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स आयात जिसमें लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर शामिल हैं अप्रैल से जून की अवधि में 19.7 अरब डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 6.25 प्रतिशत अधिक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर भारत के कुल वार्षिक आयात का लगभग 1.5 प्रतिशत है, जिसमें से लगभग आधे चीन से आयात होता है। बता दें कि एपल के कई आईपैड और डेल के लैपटॉप स्थानीय रूप से निर्मित होने के बजाय देश में आयात किए जाते हैं। एमके ग्लोबल की अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा के अनुसार ऐसा लगता है कि सरकार के इस फैसले का मकसद भारी मात्रा में आयात किए जाने वाले उत्पादों के स्थान पर स्थानीय तौर पर उत्पादित प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देता है। सरकार के इस फैसले पर हालांकि एपल, डेल और सैमसंग जैसी दिग्गज कंपनियों ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत में जिन कंपनियों के सबसे ज्यादा लैपटॉप और कंप्यूटर आयात किए जाते हैं उनमें उपरोक्त तीनों कंपनियों के अलावे एसर, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, लेनोवो और एचपी जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।

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