पीएम आवास योजना की सब्सिडी में फर्जीवाड़ा, सन्मार्ग ने किया खुलासा | Sanmarg

पीएम आवास योजना की सब्सिडी में फर्जीवाड़ा, सन्मार्ग ने किया खुलासा

नई दिल्ली: जून, 2015 में केंद्र सरकार ने देश के बेघर लोगों के लिए पक्के मकान देने की योजना बनायी थ। योजना का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना रखा गया। लेकिन दूसरी योजनाओं की तरह ही इस योजना में भी भ्रष्टाचारियों और दलालों ने सेंध लगा दी। इस बार ‘सन्मार्ग’ SIT ने मोदी सरकार की इस प्रमुख आवास योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए अयोग्य लाभार्थियों द्वारा धोखाधड़ी के व्यापक उपयोग का खुलासा किया है।

मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में फर्जीवाड़ा चल रहा है। 25 जून, 2015 से जिसे आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय के अधीन चल रही इस योजना में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), निम्न आय समूह (एलआईजी) और झुग्गीवासियों सहित मध्यम आय समूह (एमआईजी) के लोगों को 2022 तक पक्के मकान देने का लक्ष्य था, जिसे अब 31 दिसंबर, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। किसी परिवार की वार्षिक आय 18 लाख सालाना से अधिक और आवेदक के पास कोई अन्य पक्की संपत्ति नहीं होनी चाहिए। सन् 2021 में सीबीआई ने पीएमएवाई में धोखाधड़ी के लिए दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के खिलाफ मामला दर्ज किया। डीएचएफएल के प्रमोटरों- कपिल और धीरज वधावन पर 14,000 करोड़ रुपए से अधिक के फर्जी और काल्पनिक गृह ऋण खाते बनाने और केंद्र सरकार से ब्याज, सब्सिडी में 1,880 करोड़ रुपए का लाभ उठाने का आरोप लगाया। डीएचएफएल सिर्फ एक उदाहरणभर है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से भी पीएमएवाई में इसी तरह की गड़बड़ी की घटनाएं सामने आयी हैं।

यूपी में फर्जीवाड़ा

‘सन्मार्ग’ एसआईटी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सब्सिडी फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन किया। योजना के तहत सब्सिडी वाला घर लेने के लिए आगरा के एक रियल एस्टेट एजेंट राजीव वर्मा से संपर्क किया। राजीव ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शहरी के तहत सब्सिडी के लिए अयोग्य था। इसलिए मैंने फर्जी आयकर रिटर्न (आईटीआर) समेत फर्जी दस्तावेज जमा किये थे।

पीएम आवास योजना की सब्सिडी…

और झूठी जानकारी दी कि मेरे पास देश में कहीं भी कोई पक्का घर नहीं है। परिणामस्वरूप मैंने आगरा में खरीदे गए घर के लिए सब्सिडी पा ली।’ राजीव ने रिपोर्टर से कहा कि वैसे ही नकली कागज बना लो, सब्सिडी मिल जाएगी।

राजीव रिपोर्टर को एक रेडी-टू-मूव-इन हाउसिंग प्रोजेक्ट पर ले गया, जिसके बारे में उसका दावा था कि इस मकान को ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी जैसी योजनाओं के जरिये घरों की मांग को पूरा करने के लिए बनी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया है। राजीव के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के 3 बीएचके का रेट 24 लाख रुपये था।

प्रोजेक्ट का दौरा करते समय राजीव ने खुफिया कैमरे के सामने कबूल किया कि उसने खुद पहले से ही एक पक्का घर होने और आयकर रिटर्न अधिकतम सीमा से अधिक होने के बावजूद आगरा में खरीदे गये घर के लिए सब्सिडी हासिल कर ली। राजीव ने कहा, वह पीएमएवाई सब्सिडी के लिए अयोग्य था और ईडब्ल्यूएस, एलआईजी या एमआईजी किसी भी श्रेणी में नहीं आता था। फिर भी उसने फर्जी हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें दावा किया गया कि उसके या उसकी पत्नी के पास भारत में कहीं भी कोई पक्का घर नहीं है। इस तरह उसने योजना के तहत सब्सिडी हासिल कर ली।

रिपोर्टर : आप एलिजिबल (पात्र) नहीं हो? …आपने कैसे ले लिया?

वर्मा : वो 100 रुपये का एफिडेविट बनता है, स्टाम्प पेपर, …एक तो आईटीआर बहुत हल्के दिखाने पड़ते हैं। एकदम मिनिमम। …और जो है इनकम भी बहुत कम दिखानी पड़ती है। …ये दिखाना पड़ता है कि हमारे और हमारी मैडम के नाम पर पूरे हिन्दुस्तान में कोई घर नहीं है। पक्का मकान न हो। बस यही एफिडेविट में लिखा हो। वैसे ये हिन्दुस्तान है ना! इतनी कोई इन्क्वायरी करता नहीं है। …हमारे पास तो कोई इन्क्वायरी आयी नहीं। मैंने एप्लीकेशन सबमिट कर दी। …मेरे पास ऑटोमैटिक एक साल बाद सब्सिडी आ गयी।

रिपोर्टर : 2 लाख 15 हजार?

वर्मा : हां।

रिपोर्टर : मान लो, मैं ये मकान लेता हूं। …मेरे पास तो पहले से मकान है नोएडा में? मेरे नाम पर भी है, मैडम के भी। दोनों ज्वाइंट हैं उसमें…।

वर्मा : फिर तो सब कह सकते हैं; …एक तरीके से जुआ ही है। वैसे इन्क्वायरी होती नहीं है, और भी लोगों ने लिए हैं। आज तक तो हुई नहीं है।

रिपोर्टर : तो मैं अप्लाई कर दूं?

वर्मा : कर दीजिए। …अप्लाई करने में कोई बुराई नहीं है।

रिपोर्टर : और एफिडेविट?

वर्मा : एफिडेविट बना दीजिए कि हम दोनों के नाम पर कोई मकान नहीं है।

रिपोर्टर : लेकिन मकान तो है नोएडा में, फिर?

वर्मा : कौन चेक करने आ रहा है? …हिंदुस्तान में इतना टाइम है किसी के पास?

रिपोर्टर : मान लो, चेक हो गया तो?

वर्मा : तो ज्यादा-से-ज्यादा सब्सिडी नहीं आएगी, …और क्या, आप मत दीजिए सब्सिडी।

रिपोर्टर : मतलब जिनके पास घर है, वो भी प्रधानमंत्री आवास योजना में सब्सिडी ले रहे हैं?

वर्मा : जी।

रिपोर्टर : और बीपीएल में भी नहीं आते वो लोग, सब अमीर हैं?

वर्मा : हां-हां सर! ये इन्वेस्टर हैं सब। सब अमीर हैं।

रिपोर्टर : इन्होंने सबने बुक करवाया हुआ है, …प्रधानमंत्री आवास योजना में?

वर्मा : सबने, …ये हिंदुस्तान है सर! हिंदुस्तान में हर चीज हो सकती है। असल में किसी भी प्लॉट पर या फ्लैट पे सब्सिडी मिलती है। आगे वाले फ्लैट्स में भी xxxxx वालों की उसमें भी सब्सिडी है। हर एक में सब्सिडी मिलती है।

रिपोर्टर : उसकी कंडीशन होती है ना कुछ?

वर्मा : जी, वही कि आपके पास पक्का घर नहीं होना चाहिए।

रिपोर्टर : हमारा तो एक पक्का घर है नोएडा में।

वर्मा : वो छुपा सकते हैं सर! वो है नोएडा में, यहां आगरा की बात है। …चल जाएगा। कोई दिक्कत नहीं है।

रिपोर्टर : उसको कैसे छुपाएंगे आप बताओ?

वर्मा : लोन देने वाले बैंक वाले आपसे एफिडेविट ही मांगते हैं 100 रुपीज का, कि हमारे नाम पर कोई पक्का मकान नहीं है। बस और कुछ नहीं होता; सर्वे भी नहीं।

रिपोर्टर : आपने भी लिया हुआ है आगरा में ऐसा?

वर्मा : जी! कोई भी, आप ले सकते हैं। जब तक मोदी जी की गवर्नमेंट है, सब पर मिलेगी सब्सिडी।

रिपोर्टर : आपका तो ऑलरेडी पक्का मकान था?

वर्मा : वो शिकोहाबाद में था। मैं अब आगरा में रहने लगा हूं। एफिडेविट बन गया था। मेरी सब्सिडी आ भी गयी। …2 लाख 39 हजार आयी थी मेरी।

रिपोर्टर : 2.39 लाख?

वर्मा : जी।

रिपोर्टर : वहां शिकोहाबाद में आपके पक्के मकान का सर्वे करने नहीं आया कोई?

वर्मा : नहीं, कोई नहीं आया। …वहां पक्का मकान है। इतना टाइम कहां है सरकार के पास कि चेक करे।

रिपोर्टर : ले लूं सब्सिडी मैं? …कहीं बाद में दिक़्कत न हो?

वर्मा : नहीं-नहीं, आप ले लीजिए; आंख बंद करके ले लीजिए।

रिपोर्टर : ऐसा न हो बाद में सर्वे हो जाए?

वर्मा : सर्वे होता ही नहीं है सर! और भी लोगों ने लिए हैं। हमारे यार-दोस्तों ने भी लिए हैं।

रिपोर्टर : तो आगरा में सब पर मिल जाएगी सब्सिडी?

वर्मा : जी सर! लगभग 40 लाख से ऊपर नहीं होना चाहिए बस।

रिपोर्टर : अगर आप लोन लेंगे, तो सरकार सब्सिडी वापस कर देगी एक साल के बाद?

वर्मा : एक साल, आठ महीना, नौ महीना। जितना प्रोसेस में होता है, …टाइम होता है। हज़ारों लोग भरते हैं ना!

रिपोर्टर : मतलब उतना पैसा अकाउंट में आ जाएगा?

वर्मा : जी! ऑटोमेटिक आ जाता है।

बिहार में रिश्वत दो सब्सिडी लो

राजीव के बाद अंडरकवर रिपोर्टर की मुलाकात बिहार के कटिहार जिले के इमरान हुसैन (बदला हुआ नाम) से हुई। दर्जी इमरान ने कबूल किया कि उसने पीएमएवाई के तहत अपने घर में शौचालय बनाने के लिए सरकार से 10,000 रुपये हासिल करने के लिए अपने ग्राम प्रधान को 3,000 रुपये की रिश्वत दी थी।

रिपोर्टर : आप घर बनवा रहे थे प्रधानमंत्री आवास योजना में?

इमरान : नहीं-नहीं; वो तो शौचालय के लिए बोला था। शौचालय के लिए 10 हजार रुपये मिला था। दो शौचालय बनवाये थे। एक का पैसा मिला है।

रिपोर्टर : आराम से मिल गया या कोई दिक़्कत आई?

इमरान : दिक्कत? …पूरी-पूरी दिक़्क़त आयी। 10,000 तो मुझको मिला; लेकिन उसके लिए 2-3 हजार तो मुझको देना पड़ा ना!

रिपोर्टर : 3,000 रुपीज रिश्वत के देने पड़े आपको? किसको?

इमरान : वार्ड मेंबर को; गांव के मुखिया को।

रिपोर्टर : पहले पैसा मिला या रिश्वत दी आपने?

इमरान : पहले पैसा देना होता है। …बाद में मिलता है।

रिपोर्टर : रिश्वत देने के कितने दिन बाद पैसा मिल गया आपको?

इमरान : पहले 6-8 महीने कहता रहा, …फिर बोला इतना पैसा दो; अकाउंट में पैसा डलवा देते हैं। …तो फिर पैसा दिया, फिर अकाउंट में डलवाया।

‘सन्मार्ग’ एसआईटी की पड़ताल से सामने आया कि बड़ी संख्या में अयोग्य लाभार्थी फर्जी तरीकों से योजना का फायदा उठा रहे हैं। लोग मौजूदा पक्के मकानों का खुलासा न कर और झूठे आयकर रिटर्न तैयार कर गरीबों की सब्सिडी हड़प रहे हैं।

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